नई दिल्लीः संसद के हंगामेदार मानसून सत्र के बीच राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू बुधवार को भावुक हो गए। उन्होंने सदन में विपक्ष के बर्ताव की निंदा की। उन्होंने कहा कि संसद में जो हुआ, उससे मैं बहुत दुखी हूं। कल जब कुछ सदस्य टेबल पर आए, तो सदन की गरिमा को चोट पहुंची और मैं पूरी रात नहीं सो पाया। राज्यसभा चेयरमैन ने विपक्ष की लगातार मांग पर कहा कि आप सरकार को इस बात के लिए फोर्स नहीं कर सकते कि वो क्या करे, क्या नहीं?
सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू बीते मंगलवार को राज्यसभा में हंगामा करने वाले और आसन की तरफ रूल बुक फेंकने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह, सदन के नेता पीयूष गोयल और अन्य भाजपा सांसदों ने आज सुबह नायडू से मुलाकात भी की।
विपक्ष के भारी हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं, राज्यसभा की कार्यवाही भी शोर-शराबे की वजह से दोपहर 12 बजे तक के लिए टालनी पड़ी। इसके बाद कार्यवाही फिर से शुरू हुई। बता दें कि संसद का मानसून सत्र 13 अगस्त तक ही चलना है।
Rajya Sabha Chairman M Venkaiah Naidu gets emotional as he speaks about yesterday’s ruckus by Opposition MPs in the House
All sacredness of this House was destroyed yesterday when some members sat on the tables and some climbed on the tables, he says pic.twitter.com/S1UagQieeS
— ANI (@ANI) August 11, 2021
- आखिर क्यों हुआ हंगामा
दरअसल, मंगलवार दोपहर 2 बजे दोपहर के भोजन के बाद जैसे ही राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, उपसभापति भुवनेश्वर कलिता ने कृषि से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान पर एक संक्षिप्त चर्चा शुरू करने का आह्वान किया। इस पर विरोध दर्ज कराने के लिए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के उनके नोटिस को सदन के संज्ञान में लाए बिना और बिना सहमति के ही चर्चा का समय कम कर दिया गया है। यह निर्णय एकतरफा है। - केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ, लेकिन सदन की राय लेने की जरूरत है तो ले लीजिए। इस पर कलिता ने कहा कि यह अध्यक्ष का निर्णय है, इसलिए मैं इसमें बदलाव नहीं कर सकता और हम उसी आधार पर चर्चा करा रहे हैं। उन्होंने चर्चा शुरू करने के लिए भाजपा के विजय पाल सिंह तोमर को आमंत्रित किया।
- इस दौरान विपक्ष ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। तोमर ने सभापति से पूछा कि वह हंगामे के बीच कैसे बोल सकते हैं, लेकिन अपना भाषण जारी रखा और किसानों की खराब स्थिति के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया।
- बाद में, बीजद नेता प्रसन्ना आचार्य ने भी हंगामे के बीच अपनी बात रखी। विपक्षी सदस्य नारे लगाते रहे, आचार्य को सुनना मुश्किल हो गया। आचार्य जब बोल रहे थे, तभी विरोध कर रहे सदस्यों में से एक सांसद महासचिव की मेज पर चढ़ गए। वह सदन की वेल में रहे और नारेबाजी करते रहे। इस दौरान आसन की तरफ रूल बुक भी फेंक दी। इस हंगामे के दौरान विपक्षी दल के नेताओं ने ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे भी लगाए। इसके साथ ही तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की।
बीते दिन की घटना पर सरकार के निशाने पर विपक्ष
- केंद्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोई माननीय सांसद (प्रताप सिंह बाजवा) रूल बुक लेकर चेयर पर फेंके और अधिकारियों की टेबल पर चढ़े। ये दुर्भाग्यपूर्ण नजारा है, अगर वो इस पर सफाई देते हैं तो ये और दुर्भाग्यपूर्ण है।
- केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि उच्च सदन में गिरावट लगातार जारी है। कांग्रेस वहां नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में है। सदन को नहीं चलने देना, मंत्री के हाथ से कागज छीनकर फाड़े गए। कल तो आसन्दी पर पुस्तकें फेंकी गई। निंदा के लिए शब्द नहीं हैं।
- केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि जो पार्टी 2 वर्ष तक अपना अध्यक्ष न चुन पाए, जिस पार्टी के सांसद अपनी ही सरकार के बिल फाड़ दें। जो पार्टी सदन न चलने दे, जो सड़क पर भी कोई करने से शर्म महसूस करे वैसा काम सदन में करे। समझ सकते हैं कि लोकतंत्र को कितना शर्मसार करने का काम किया जा रहा है। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा द्वारा राज्यसभा में रूल बुक फेंकने पर उन्होंने कहा कि जनता ने जिन्हें अपने मुद्दे उठाने के लिए सांसद बनाकर भेजा है वो चर्चा में भाग न लेकर चीर-फाड़ करने तक आए हैं, फाइलें फेंकने तक आए हैं। कल जो हुआ वो एक के बाद दूसरी शर्मसार करने वाली घटना थी।