उन्होंने कहा कि हिंदुत्व को लेकर सावरकर की एक सोच थी जो भारत की भौगोलिक स्थिति और संस्कृति से जुड़ी थी। उनके लिए हिन्दू शब्द किसी धर्म, पंथ या मजहब से जुड़ा नहीं था बल्कि भारत की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा था ।
उदय माहुरकर और चिरायु पंडित की लिखी किताब ‘वीर सावरकर- द मैन हू कैन्ड प्रिवेंटेड पार्टिशन’ के विमोचन के मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सावरकर महानायक थे, हैं और रहेंगे। उन्हें विचारधारा के चश्मे से देखने वालों को माफ नहीं किया जा सकता। वे हिंदुत्व को मानते थे, लेकिन वह हिंदूवादी नहीं थे। राष्ट्रवादी थे। उनके लिए देश राजनीतिक इकाई नहीं, सांस्कृतिक इकाई था। 20वीं सदी के सबसे बड़े सैनिक व कूटनीतिज्ञ थे सावरकर।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि सावरकर के बारे में एक झूठ फैलाया जाता है कि 1910 में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सावरकर ने ब्रिटिश हुकूमत के सामने दया याचिका दी थी। जबकि, सच यह है कि उन्होंने महात्मा गांधी के कहने पर ऐसा किया था। यह एक कैदी का अधिकार था।
आगे कहा कि आरएसएस के विचारक वीडी सावरकर ने भारत को मजबूत रक्षा और राजनयिक सिद्धांत के साथ प्रस्तुत किया। वह भारत के सबसे बड़े और पहले रक्षा मामलों के विशेषज्ञ थे।
रक्षामंत्री ने कहा कि मार्क्सवादी और लेनिनवादी विचारधाराओं के लोग वीर सावरकर पर फासीवादी और हिंदुत्व का समर्थक हाने का आरोप लगाते हैं। सावरकर को बदनाम करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। जबकि, उनकी विचारधारा राष्ट्रवादी थी।
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व को लेकर सावरकर की एक सोच थी जो भारत की भौगोलिक स्थिति और संस्कृति से जुड़ी थी। उनके लिए हिन्दू शब्द किसी धर्म, पंथ या मजहब से जुड़ा नहीं था बल्कि भारत की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा था ।
उन्होंने कहा, ‘इस सोच पर किसी को आपत्ति हो सकती है लेकिन इस विचार के आधार पर नफरत करना उचित नहीं है।’
संघ प्रमुख मोहन भागवत भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही विनायक दामोदर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चलाई गई। आज के समय में वास्तव में वीर सावरकर के बारे में सही जानकारी का अभाव है। दरअसल, निशाना कोई व्यक्ति नहीं था बल्कि राष्ट्रवाद था।