नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में मेरठ से प्रयागराज तक प्रस्तावित 17,000 करोड़ रुपये की लागत की 594 किमी लंबे छह लेन गंगा एक्सप्रेसवे का काम अडानी समूह को दिया गया है। इसमें आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स भी शामिल हैं। बता दें कि यह एक्सप्रेसवे देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बताया जा रहा है। जहां विपक्ष भाजपा पर अडानी-अंबानी पर मेहरबान होने का आरोप लगाती है, वहीं अडानी समूह को गंगा एक्सप्रेसवे का काम मिलना फिर से चर्चा का विषय बन गया है।
बता दें कि अडानी समूह गंगा एक्सप्रेस वे में बदायूं से प्रयागराज तक 464 किमी का निर्माण करेगा। जिसमें इस प्रस्तावित एक्सप्रेसवे का 80% कार्य तीन समूहों में शामिल है। बदायूं से हरदोई तक 151.7 किमी, हरदोई से उन्नाव तक 155.7 किमी और उन्नाव से प्रयागराज तक 157 किमी। गौरतलब है कि अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड एक्सेस छह-लेन एक्सप्रेसवे के तीन समूहों का निर्माण करेगा, जिसे आठ लेन तक बढ़ाया जा सकता है।
अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को मिले गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत देश की किसी निजी कंपनी को दी गई अब तक की सबसे बड़ी एक्सप्रेसवे परियोजना है। अडानी ग्रुप को स्वीकृति पत्र यूपी एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डवलपमेंट अथॉरिटी की तरफ से मिला।
गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ को प्रयागराज से जोड़ेगा। डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) के आधार पर लागू होने वाला यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बताया जा रहा है। अडानी इंटरप्राइजेज ने इसके निर्माण को लेकर कहा है कि वह उत्तर प्रदेश में तीन हिस्सों में छह लेन के एक्सप्रेसवे का निर्माण करेगी जिसे आठ लेन तक बढ़ाया जा सकेगा। इसकी रियायत की अवधि 30 वर्ष होगी।
खास बात है कि विपक्ष भाजपा पर लगातार आरोप लगाता रहा है कि मोदी सरकार तीन-चार उद्योगपतियों के लिए है और उन्हीं को फायदा पहुंचा रही है। इनमें गौतम अडानी सबसे अधिक निशाने पर रहते हैं। इन सबके बीच यूपी में अडानी समूह को अहम प्रोजेक्ट दिया गया है।
फिलहाल अभी अडानी समूह के पास 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत के 13 ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिनके तहत पांच हजार किमी से ज्यादा की सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।