नई दिल्लीः पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह मंगलवार को कांग्रेस का साथ छोड़ने के कुछ समय बाद ही भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस पार्टी ने सिंह के इस्तीफे पर सख्त प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि जो युद्ध कांग्रेस लड़ रही है उसे केवल बहादुरी से लड़ा जा सकता है, कायर यह जंग नहीं लड़ सकते। उत्तर प्रदेश समेत पाच राज्यों में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सिंह के इस्तीफे से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कुशीनगर से पूर्व सासंद सिंह ने ट्विटर पर इस फैसले की जनकारी दी और इसे अपने लिए नई शुरुआत बताया।
कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एक प्रेस वार्ता के दौरान आरपीएन सिंह को एक कायर करार दिया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पूरे देश में जो लड़ाई लड़ रही है, खास तौर पर उत्तर प्रदेश में, वह सरकारी संसाधनों और इसकी एजेंसियों के खिलाफ है। यह विचारधारा और सत्य की लड़ाई है और इस तरह का युद्ध लड़ने के लिए आपके अंदर साहस और समर्पण होना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि यह लड़ाई कायरों के लिए है। जैसा कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा आप एक कायर होकर इस लड़ाई में शामिल नहीं हो सकते हैं।’
57 वर्षीय आरपीएन सिंह पिछड़ी जाति सैंथवार-कुर्मी से आते हैं। इस्तीफा देने से पहले कांग्रेस में वह झारखंड के प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें अपने स्टार प्रचारकों में भी शामिल किया था। अब भाजपा में शामिल होने के बाद माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें कुशीनगर की पडरौना विधानसभा सीट से टिकट दे सकती है।यहां से वह 1996-2009 के दौरान विधायक रहे थे। वह 2003 से 2006 तक अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के सचिव भी रहे हैं।
उधर, कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद ने दावा किया है कि आरपीएन सिंह भाजपा के साथ मिलकर एक साल से अधिक समय से झारखंड की सरकार को कमजोर करने की कोशिशों में लगे हुए थे। प्रसाद ने एक ट्वीट में कहा, पिछले एक साल से ज्यादा समय से भाजपा के साथ सांठ-गांठ कर आरपीएन सिंह झारखंड की कांग्रेस-जेएमएम सरकार को अपदस्थ कराने की कोशिश कर रहे ते। पार्टी नेतृत्व को लगातार इस बारे में आगाह भी किया गया था। उनके भाजपा में चले जाने से झारखंड का हर सच्चा कांग्रेसी प्रसन्न है।