मालेगांव ब्लास्ट 2008 मामले में एक और गवाह अदालत में मुकर गया। यह 17वां गवाह है जिसने मालेगांव विस्फोट 2008 मामले में गवाही देने से इनकार कर दिया। गवाह जहां कोर्ट में गवाही देने से मुकर गया वहीं महाराष्ट्र एटीएस पर गंभीर आरोप भी लगाए। गवाह ने आरोप लगाया कि एटीएस ने उसे बंधक बनाकर तीन-चार दिनों तक रखा और प्रताड़ित करके आरएसएस नेताओं का नाम लेने का दबाव बनाया।
इससे पहले गवाह भी कोर्ट में मुकर गया था। उसने कहा था कि एटीएस ने उसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के चार नेताओं के नाम लेने के लिए मजबूर किया था।
परमबीर सिंह थे एटीएस के ACP – आपको बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह उस वक्त एटीएस के अतिरिक्त आयुक्त थे, जब इसने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की जांच की थी। परमबीर सिंह जबरन वसूली के कई मामलों का अभी सामना कर रहे हैं। मुंबई से करीब 200 किमी दूर मालेगांव कस्बे में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से अधिक घायल हो गये थे।
गवाह ने विशेष एनआईए अदालत में गवाही दी। एटीएस ने उसका बयान उस वक्त दर्ज किया था, जब वह मामले की जांच कर रहा था। एनआईए ने मामले की जांच की जिम्मेदारी बाद में संभाल ली थी। गवाह ने अपनी गवाही के दौरान अदालत को बताया कि एटीएस के ने उसे तीन-चार दिनों तक बंधक बनाकर रखा और उसके ऊपर दबाव बनाकर आरएसएस नेताओं का नाम लेने को कहा।
अब तक 17 गवाह मुकर चुके हैं – गवाह ने दावा किया कि एटीएस ने उसे प्रताड़ित किया था और अवैध रूप से (एटीएस कार्यालय में) बैठा कर रखा था। इस मामले में एटीएस ने करीब 20 गवाहों के नाम कोर्ट में गवाही के लिए दिए गए हैं, उनमें से 17 के 15 मुकर गए हैं।