जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने मंगलवार को रूस के साथ जारी अपनी अहम नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना को रद्द करने का फैसला किया है। जर्मनी की तरफ से यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब रूस ने यूक्रेन के दो शहरों- डोनेत्स्क और लुहांस्क में अपने सैनिकों को भेजना शुरू किया है। नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन यूरोप और पूरे रूस के लिए कितनी अहम है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रूस इस परियोजना के जरिए जर्मनी को अपनी तेल-गैस की सप्लाई दोगुनी करने वाला था और इससे पुतिन सरकार की आर्थिक स्थिति बेहतर होने की संभावना थी।
जर्मनी की ओर से इस परियोजना को रद्द करते हुए कहा गया है कि वह यूक्रेन के खिलाफ रूस की कार्रवाई का सख्त विरोध करती है। चांसलर शोल्ज ने कहा कि रूस का बातचीत की मेज पर लौटना जरूरी है और इस तरह के एकतरफा फैसलों को रोकना पूरी दुनिया की जरूरत है।
जानें क्या है नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन परियोजना?
1. नॉर्ड स्ट्रीम 1200 किमी लंबी पाइपलाइन है। यह बाल्टिक सागर से होते हुए पश्चिमी रूस से उत्तर-पूर्वी जर्मनी तक जाती है। जर्मनी इस पाइपलाइन प्रोजेक्ट के जरिए रूस से मिलने वाली प्राकृतिक गैस की सप्लाई दोगुनी करना चाहता है।
2. 83 हजार करोड़ रुपये के खर्च से निर्मित इस पाइपलाइन का काम सितंबर 2021 में पूरा हो चुका है। हालांकि, अभी कुछ अहम मंजूरी मिलना बाकी है, जिसकी वजह से पाइपलाइन का उद्घाटन नहीं हुआ है।
3. इस पाइपलाइन से जर्मनी को हर 55 अरब घन मीटर गैस की सप्लाई हो सकेगी, जिससे जर्मनी के 2.6 करोड़ घरों को ठंड के मौसम में भी गैस-पेट्रोल की आपूर्ति बिना रुके जारी रहेगी। इस प्रोजेक्ट का मालिकाना हक रूस की सरकारी कंपनी गैजप्रोम के पास है। रूस अभी नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन के जरिए जर्मनी को गैस भेजता है। इसकी क्षमता अभी सालाना 55 अरब घन मीटर गैस सप्लाई करने की है। नई पाइपलाइन से यह आपूर्ति दोगुनी हो जाएगी।
रूस के लिए कितना अहम है ये प्रोजेक्ट?
1. अगर इस पाइपलाइन से रूस ने जर्मनी को गैस की सप्लाई शुरू कर दी, तो इसे पुतिन की बड़ी कूटनीतिक चाल के तौर पर देखा जाएगा। दरअसल, रूस फिलहाल यूरोप की कुल ऊर्जा जरूरतों (तेल-गैस) का 40 फीसदी से ज्यादा सप्लाई करता है। ऐसे में उसकी यह पाइपलाइन यूरोप के सबसे अमीर देश जर्मनी को अपने ऊपर पूरी तरह निर्भर बना लेगी। इससे न चाहते हुए भी जर्मनी को रूस के प्रतिबंधों के डर से उसके आगे मजबूर होना पड़ेगा।
2. रूस के पाइपलाइन प्रोजेक्ट का अमेरिका, यूक्रेन और पोलैंड विरोध करते रहे हैं। रूस अभी ज्यादातर नैचुरल गैस की सप्लाई यूक्रेन के रास्ते करता है। जबकि नॉर्ड स्ट्रीम 1 और नॉर्ड स्ट्रीम 2 यूक्रेन से होकर नहीं जातीं। इससे रूस को यूक्रेन को किसी भी तरह की राशि नहीं देनी होती। फिलहाल इस प्रोजेक्ट से यूक्रेन को 2 अरब डॉलर की ट्रांजिट फीस का नुकसान तो होता ही है, साथ ही उसके हाथ में रूस पर लगाम लगाने वाली भी कोई योजना नहीं रहती।
रूस को कितना नुकसान होगा?
अगर इस प्रोजेक्ट पर किसी भी तरह की रोक लगती है तो इससे रूस की कमाई पर नकारात्मक असर पड़ने की संभावना है। उसे अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए तेल-गैस की सप्लाई समुद्री या सड़क मार्ग से करनी होगी, जिसमें उसे काफी आर्थिक नुकसान होगा। साथ ही इससे यूक्रेन को बड़ा फायदा होगा।
यूरोप को कितने नुकसान की संभावना?
अगर नॉर्ड स्ट्रीम प्रोजेक्ट पर रोक लगती है तो इससे जर्मनी के साथ बाकी यूरोपीय देशों में भी गैस संकट गहराने का खतरा है, क्योंकि रूस नाराजगी में यूरोप को की जाने वाली तेल और गैस की बाकी सप्लाई को रोक कर यूरोपीय देशों को घुटने पर लाने की कोशिश कर सकता है। यूरोप के ज्यादातर देश फिलहाल प्राकृतिक गैस और तेल के आयात के लिए रूस पर ही निर्भर हैं।
यूरोप की मदद के लिए कैसे आगे आ सकता है अमेरिका?
नॉर्ड स्ट्रीम 2 पर प्रतिबंध के बाद रूस का यूरोप को गैस-तेल की सप्लाई बंद करने का कदम खतरनाक साबित हो सकता है। अमेरिका ने इससे बचने के लिए हाल ही में कतर से संपर्क किया है, जिसके पास अरब जगत में जबरदस्त गैस और तेल के संसाधन हैं। अमेरिका कतर की मदद से रूस से बाधित होने वाली सप्लाई को फिर से यूरोप के लिए चालू करवा सकता है और रूस को यूक्रेन पर हमले से रोकने में सफलता हासिल कर सकता है।