भोपाल : मध्य प्रदेश के दामोह जिले में कर्ज में डूबे एक और किसान ने आत्महत्या की कोशिश की, उधर राज्य के कृषि मंत्री बालकृष्ण पाटीदार ने इस पर अटपटा बयान देकर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। बालकृष्ण ने आत्महत्या को वैश्विक समस्या बताया, जिस पर विवाद शुरू हो गया है।
बता दें कि पूरे देश में किसानों की आत्महत्या के मामले में मध्य प्रदेश तीसरे नंबर का राज्य है जिस वजह से राज्य सरकार इस बार चुनाव में पहले से ही दबाव में है। किसान संगठनों ने मंत्री के संवेदनहीन बयान की निंदा की।
फसल बर्बाद होने से लगा सदमा
मध्य प्रदेश के सूखा गांव में लक्ष्मण काची (45) नाम के एक किसान ने शुक्रवार को जहर पीकर जान देने का प्रयास किया। उनके परिवार का कहना है कि लक्ष्मण ने एक प्राइवेट मनी लेंडर से अधिक ब्याज पर 50 हजार रुपये का कर्ज लिया था, लेकिन पिछले सीजन में खरीफ की फसल बर्बाद होने से वह सदमे में आ गए। इसके बाद सूखे की वजह से वह रबी की फसल के लिए बीज बोने में भी असमर्थ रहे।
उनके बेटे नारायण ने बताया, ‘मेरे पिता बड़े तनाव से गुजर रहे थे। हम मनी लेंडर को पहले ही 90 हजार रुपये चुकता कर चुके हैं जबकि कर्ज की राशि 50 हजार रुपये थी। फिर भी मनी लेंडर हर छह महीने में पैसे लेने आ जाता है और दोबारा पेमेंट के लिए हमारा उत्पीड़न करता है।’
मामले की जांच कर रहे अधिकारी केएस कारोलिया ने बताया कि लक्ष्मण को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एक मनी लेंडर का मामला सामने आया है लेकिन चीजें सिर्फ जांच के बाद ही स्पष्ट होगी।
मंत्री ने कहा, ‘सभी तबके के लोग आत्महत्या कर रहे हैं’
एक तरफ काची अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं उधर राज्य के कृषि मंत्री ने इसे वैश्विक समस्या बताकर विवाद को जन्म दे दिया है। इंदौर में जब संवाददाताओं ने मध्य प्रदेश में बढ़ती किसान आत्महत्या पर सवाल किया तो बालकृष्ण ने कहा, ‘बिजनसमैन, आईएएस-आईपीएस अधिकारी, पुलिस और समाज के सभी तबके के लोग आत्महत्या करते हैं, यह पूरे विश्व में हो रहा है।’
मंत्री के इस गैर जिम्मेदाराना बयान के चलते किसानों में जमकर रोष है। राष्ट्रीय किसान मजदूर के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी ने मंत्री के बयान की निंदा की। वहीं भारतीय किसान यूनियन के स्टेट जनरल सेक्रटरी अनिल यादव ने कहा, ‘यह बीजेपी का असली चेहरा उजागर करता है जो खुद को किसान फ्रेंडली बताती है।’
5 साल में 6071 किसान आत्महत्या के मामले
किसानों की समस्या मध्य प्रदेश में गंभीर मुद्दा है और राज्य सरकार बेहतर मूल्य और किसानों को आसान ऋण सुनिश्चित करने के लिए योजनाओं पर योजनाएं घोषित कर रही है लेकिन दुर्भाग्यवश किसानों की आत्महत्याएं रोकने में यह फेल साबित हो रही हैं।
इस साल 20 मार्च को केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपला ने लोकसभा में बताया कि मध्य प्रदेश देश में किसानों की आत्महत्या के मामले में तीसरे नंबर पर है।
2013 से किसानों की आत्महत्या मामले में यहां 21 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। जो राज्य पिछले पांच वर्षों में दो अंकों की कृषि विकास दर का दावा करता है और हाल ही में पांचवा कृषि कर्मण पुरस्कार से नवाजा गया है वहां 2011 से 2016 के बीच 6071 किसान आत्महत्याओं के भयावह मामले सामने आए हैं।