‘लाभ का पद’ मामले में अयोग्य ठहराए गए आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच सुनवाई करेगी। इन विधायकों ने अपनी सदस्यता रद्द किए जाने को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिए अपने उस अंतरिम आदेश को भी बरकरार रखा है, जिसमें याचिका की अगली सुनवाई तक उप चुनावों का ऐलान नहीं किया गया था। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में उप चुनावों के ऐलान पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दिया था। अब अगली सुनवाई तक चुनाव आयोग उप चुनाव का ऐलान नहीं कर सकता है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग से आम आदमी पार्टी के विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने से संबंधित सभी रेकॉर्ड पेश करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को 6 फरवरी तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। आम आदमी पार्टी के विधायकों का तर्क है कि चुनाव आयोग ने फैसला करने से पहले उन्हें कोई जानकारी नहीं दी।
उन्हें मीडिया से पता चला कि चुनाव आयोग ने उनकी सदस्यता रद्द करने का फैसला लिया है। अयोग्य करार दिए गए विधायकों का कहना है कि चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कभी उन्हें नहीं सुना और ना ही वे तस्वीर में थे, लेकिन आर्डर में उनका भी नाम है।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के 20 विधायक ही अयोग्य घोषित हुए हैं, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में अभी तक केवल 8 विधायकों ने ही नोटिफिकेशन को चुनौती दी है। इन 8 विधायकों ने अपनी याचिका अलग-अलग दाखिल की है। कैलाश गहलोत, मदन लाल, सरिता सिंह, शरद चौहान और नितिन त्यागी ने एक याचिका दायर की है, जबकि राजेश ऋषि और सोमदत्त ने अलग अपील की।
अल्का लांबा ने अपनी याचिका अकेले दाखिल की है। अलग-अलग याचिका दायर करने के पीछे आम आदमी पार्टी की रणनीति बताई जा रहा है। जानकारों का मानना है कि सब विधायकों का मामला बिल्कुल एक जैसा नहीं है, इसलिए सब एक साथ याचिका दाखिल ना करें।