आध्यात्मिक गुरु आसाराम को नाबालिग से रेप मामले में जोधपुर की अदालत ने दोषी करार दे दिया है। पांचों आरोपी दोषी माने गए हैं। फैसले को लेकर आसाराम के समर्थक कहीं उपद्रव ना शुरू कर दें इसे देखते हुए कई राज्यों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। एक चाय बेचने वाले से लेकर आध्यात्मिक गुरु बनने तक आसाराम का जीवन कैसा रहा आइए जानते हैं।
आसाराम का असली नाम असुमल थाउमल हरपलानी है। उसका परिवार मूलतः सिंध, पाकिस्तान के जाम नवाज अली तहसील का रहनेवाला था, लेकिन भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद उसका परिवार अहमदाबाद में आकर बस गया था।
बताया जाता है कि आसाराम के पिता लकड़ी और कोयले के कारोबारी थे। उसकी आसाराम की ऑटोबायोग्राफी के अनुसार, उसने तीसरी क्लास तक ही पढ़ाई की।
फिर पिता के निधन के बाद उसने कभी टांगा चलाया तो कभी चाय बेचने का काम तक किया। फिर 15 साल की आयु में घर छोड़ दिया और गुजरात के भरुच स्थित एक आश्रम में आ गया।
यहां आध्यात्मिक गुरु लीलाशाह नाम से दीक्षा ली। दीक्षा से पहले खुद को साबित करने के लिए साधना की। दीक्षा के बाद लीलाशाह ने ही नाम आसाराम बापू रखा था।
1973 में आसाराम ने अपने पहले आश्रम और ट्रस्ट की स्थापना अहमदाबाद के मोटेरा गांव में की। इसके बाद समय के साथ आसाराम का साम्राज्य बढ़ता चला गया। 1973 से 2001 तक उसने कई गुरुकुल, महिला केंद्र बनाए। यहां तक की कई राजनीतिक पार्टियों में जड़ें जमा ली।
फिर 1997 से 2008 के बीच उस पर रेप, जमीन हड़पने, हत्या जैसे कई आरोप लगते गए। 2008 में जब एक बच्चे की मौत आसाराम के स्कूल में हुई तो उस पर तांत्रिक क्रियाओं को लेकर हत्या करने के आरोप लगे। इसके बाद तत्कालीन मोदी सरकार ने आसाराम के ऊपर जांच बैठाई। तब आसाराम ने कहा था कि मोदी भस्म हो जाएगा।
फिर अगस्त 2013 में एक नाबालिग ने आसाराम पर रेप का आरोप लगाया। घटना जोधपुर के आश्रम की बताई गई। इस केस की एफआईआर दिल्ली में दर्ज कराई गई। आसाराम को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन वो नहीं आया।
उसके खिलाफ फिर गैर जमानती वारंट जारी किया गया। गिरफ्तारी से बचने के लिए आसाराम इंदौर के आश्रम में रुका। लेकिन, जोधपुर पुलिस ने 1 सितंबर को 2013 को आसाराम को अरेस्ट कर ही लिया।
बता दें कि आसाराम के खिलाफ धारा 342, 376, 506 और 509 के तहत केस दर्ज हैं। इसके अलावा पॉक्सो एक्ट भी लगा।