मुंबई : किसान आंदोलन को लेकर एक्टर अक्षय कुमार ने अपनी राय रखी है। एक्टर ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए अपनी बात रखी है। उन्होंने लिखा, ‘किसान हमारे देश का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी समस्याओं के समाधान के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। इसलिए सभी मिलकर एक समाधान के लिए समर्थन करें। किसी भी तरह का विभाजन पैदा करने वालों पर ध्यान देने की बजाय समाधान पर फोकस करें।’
दरअसल अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना, पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग और मिया खलीफा जैसी हस्तियों ने किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया पर अपनी राय जाहिर की थी। इन टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए विदेश मंत्रालय की ओर से जवाब दिया गया था और प्रॉपेगेंडा से बचने को कहा गया था। विदेश मंत्रालय ने कहा कि सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और कमेंट्स से लुभाने का तरीका न तो सही है और न यह जिम्मेदाराना है।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘भारत की संसद ने पूरी चर्चा के बाद कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कानून पास किए थे। ये कानून किसानों को बड़ा बाजार मुहैया कराएंगे और उनके लिए अपनी फसल बेचना पहले से आसान होगा। ये कानून पारिस्थितिक और आर्थिक रूप से स्थायी खेती का रास्ता भी साफ करते हैं। भारत के किसानों के एक छोटे से हिस्से के मन में कानूनों को लेकर कुछ संशय हैं।’
अजेंडा थोप रहे आंदोलन में शामिल कुछ लोग: विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनकी भावनाओं का ध्यान रखते हुए भारत सरकार ने उनके प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की वार्ताएं की। केंद्रीय मंत्री बातचीत में शामिल हुए और 11 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं। सरकार ने यहां तक कि कानूनों को रोकने का भी प्रस्ताव दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह प्रस्ताव दोहराया भी। विदेश मंत्रालय ने आगे लिखा है कि इन आंदोलनों पर कुछ स्वार्थी समूहों को अपना एजेंडा थोपते देखना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
Farmers constitute an extremely important part of our country. And the efforts being undertaken to resolve their issues are evident. Let’s support an amicable resolution, rather than paying attention to anyone creating differences. 🙏🏻#IndiaTogether #IndiaAgainstPropaganda https://t.co/LgAn6tIwWp
— Akshay Kumar (@akshaykumar) February 3, 2021
स्वार्थी समूह जुटा रहे अंतरराष्ट्रीय समर्थन: मंत्रालय ने 26 जनवरी को हुई हिंसा का जिक्र करते हुए लिखा, ‘यह भारत के गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी को देखा भी गया, जब भारत के संविधान लागू होने की वर्षगांठ के दिन भारतीय राजधानी में हिंसा और बर्बरता हुई। इन स्वार्थी समूहों में से ही कुछ ने भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन पाने की भी कोशिश की। इन समूहों के उकसावे की वजह से ही दुनिया के कई हिस्सों में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अपमान किया गया। यह भारत और दुनिया के हर सभ्य समाज के लिए बहुत परेशान करने वाला था।’