श्योपुर : गुरुवार को विजयपुर के पीपलबाड़ी गांव में आदिवासी समाज की महापंचायत हुई। महापंचायत में शामिल आदिवासी पंचों ने समाज की महिला से शादी करने वाले दूसरे जाति के युवक पर 55 हजार रुपए का जुर्माना वसूला। मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। महापंचायत में दोनों की शादी तोड़ दी गई। अब दोनों अलग-अलग रहेंंगे।
पीपलबाड़ी गांव में हुई बैठक में सबसे पहले तो शराब, जुआ पर प्रतिबंध की बात दोहराई गई। इसके बाद पंचों के सामने पीपलबाड़ी गांव की गीता आदिवासी और गांव के ही विजय जाटव का मामला आया। चार बच्चों की मां गीता से छह साल पहले विजय ने शादी कर ली थी।
महापंचायत में इसे समाज के विरुद्ध माना। गीता और विजय को पंचों के सामने पेश किया गया। पंचों ने गीता से पूछा कि, उसे विजय के साथ रहना है या समाज के साथ। अगर विजय जाटव के साथ रहेगी तो उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाएगा। चारों बच्चों की शादी समाज में नहीं होने देंगे।
इसके बाद विजय से भी पूछा गया कि वह गीता को छोड़ेगा या नहीं? विजय ने पंचायत में कहा कि वह गीता के चारों बच्चों की शादी कराएगा। इस पर पंचों ने कहा कि, कहां कराओगे? तुम्हारे साथ गीता रही तो उसके बच्चाें की शादी आदिवासी समाज में तो कभी नहीं होगी।
पंचों के तेवर देख सबसे पहले गीता ने कहा कि, वह विजय को छोड़कर समाज के साथ रहेगी। इसके बाद विजय जाटव ने भी सहमति दे दी। उसके बाद पंचायत ने विजय पर 55000 रुपए के जुर्माने का दण्ड लगाया। इसके अलावा गीता के परिवार पर हो रहे सवा लाख रुपए के कर्ज को भी विजय जाटव चुकाएगा।
आदिवासी समाज सुधार समिति के ब्लॉक अध्यक्ष बाइसराम ने बताया कि, गीता के सामने पंचों ने समाज के ही व्यक्ति के शादी करने का प्रस्ताव रखा तो गीता उसे खारिज कर दिया और कहा कि, अब बच्चे की शादी लायक हो चले हैं। वह अब किसी से शादी नहीं करेगी। विजय को छोड़कर समाज के साथ रहेगी।
बीते दिनों आवदा में हुई आदिवासी समाज की बैठक में शादी समारोहों में बजने वाले डीजे साउण्ड पर भी आदिवासी समाज ने प्रतिबंध लगा दिया है। कोई भी शादी में डीजे बजाएगा तो उस परिवार को समाज से बहिस्कार कर दिया जाएगा। इसके पीछे का कारण यह बताया गया कि, डीजे पर नचने के लिए युवा शराब पीते हैं।
महापंचायत में कई लोगों ने कहा कि, डीजे पर नचने के लिए शराब के नशे में युवा आदिवासी बहू-बेटियों को भी अपने साथ नचाते हैं यह आदिवासी समाज की परंपरा के खिलाफ है। बाढ़ गांव के आदिवासी पंच सत्यभान आदिवासी ने बताया कि, उक्त पंचायत में फैसला हुआ कि, आदिवासी समाज के शादी समारोहों में अब ढोलक, ढपली और आदिवासियों का पारंपरिक वाद्य यंत्र केसू ही बजाया जाएगा।
गांव-गांव में हो रही समाज की बैठकों के बाद अब कराहल के बरगवां में आदिवासी समाज की महापंचायत बुलाई गई है। पहले इसकी तारीख 18 फरवरी रखी गई थी लेकिन, 18 फरवरी को श्योपुर में हिंदू सम्मेलन हो रहा है इसलिए, आदिवासी समाज ने यह महापंचायत दो दिन आगे बढ़ाकर 20 फरवरी या उसके बाद करने का मन बनाया है। बताया गया है कि, इस महापंचायत में श्योपुर जिले के सभी आदिवासी गांवो के पंच-पटेल शामिल होंगे। बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी।