देश के 48 सांसद और विधायकों पर महिलाओें के खिलाफ अपराध के केस हैं। भाजपा में ऐसे नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा 12 है। उन्नाव में सत्ताधारी विधायक पर लगे दुष्कर्म के आरोप समेत देश में बढ़ते रेप के खिलाफ गुस्से के बीच एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) ने यह रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट के मुताबिक देश के 33 फीसदी यानी 1580 सांसद-विधायक ऐसे हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 48 महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपी हैं, जिनमें 45 विधायक और तीन सांसद हैं। इसमें महिला उत्पीड़न, अगवा करने, शादी के लिए दबाव डालने, बलात्कार, घरेलू हिंसा और मानव तस्करी जैसे अपराध शामिल हैं।
पार्टियों के लिहाज से देखें तो भाजपा के सबसे ज्यादा 12 सांसद-विधायकों के खिलाफ केस दर्ज हैं। वहीं इसके बाद शिवसेना के सात और तृणमूल कांग्रेस के छह जनप्रतिनिधि महिलाओं के खिलाफ अपराध के दागी हैं।
यह रिपोर्ट देश के कुल 4845 जनप्रतिनिधियों में से 4896 के चुनावी एफिडेविट के विश्लेषण पर आधारित है। इसमें कुल 776 सांसदों में से 768 सांसद और 4120 विधायकों में से 4077 विधायकों के हलफनामे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियां महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपियों को टिकट दे रही हैं, इसलिए नागरिक के रूप में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को चोट पहुंचा रही हैं।
एडीआर ने सलाह दी है कि गंभीर अपराध के आरोपियों के चुनाव लड़ने से रोक होनी चाहिए। राजनीतिक दलों को भी इन्हें टिकट नहीं देना चाहिए।
महाराष्ट्र के सबसे ज्यादा आरोपी
राज्यवार देखें तो महाराष्ट्र के सबसे ज्यादा 12 सांसद और विधायक आरोपी हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल के 11, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के पांच-पांच जनप्रतिनिधि महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपी हैं।
पिछले पांच साल में दागी उम्मीदवारों को मिले टिकट
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच साल में रेप के आरोपी 28 नेताओं को विभिन्न दलों से टिकट मिले। रेप के आरोपी 14 नेताओं ने निर्दलीय लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा के चुनाव लड़े।
वहीं पिछले पांच साल में महिलाओं के खिलाफ अपराध के दागी 327 को टिकट मिला और 118 ऐसे नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। पांच साल में महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपी 47 नेताओं को भाजपा ने, 35 को बसपा ने और 24 को कांग्रेस ने टिकट दिया।