मंडला- गुरुवार को कान्हा टाइगर रिज़र्व में एक वयस्क बाघिन की मौत हो गई। पार्क प्रबंधन को बाघिन की मौत का पता तब चला जब विशेष बारासिंघा गणना के दौरान पार्क के कर्मचारियों की नज़र उस पर पड़ी। पार्क प्रबंधन ने गुरुवार की देर शाम प्रेस नोट जारी कर बाघिन की मौत की सूचना जारी की।
पार्क प्रबंधन ने अपने जारी प्रेस नोट में बताया कि दिनांक गुरुवार को प्रातः लगभग 7.50 बजे विशेष बारासिंघा गणना के दौरान सूपखार परिक्षेत्र की बीट चकरवाह कक्ष क्रमांक 300 में घास के मैदान में एक बाघ का शव मिला। मृत बाघ पाये जाने की सूचना तत्काल वनरक्षक सूपखार आशिफ हुसैन कुरैशी द्वारा परिक्षेत्र सहायक सूपखार एवं परिक्षेत्र अधिकारी सूपखार को दी गई। सूचना पाते ही परिक्षेत्र अधिकारी सूपखार द्वारा मौके पर पहुंचकर मौका मुआइना कर घटना की सूचना दूरभाष के माध्यम से सहायक संचालक, उप संचालक कोर, कान्हा टायगर रिजर्व ,मण्डला तथा क्षेत्र संचालक कान्हा टायगर रिजर्व,मण्डला को दी गई। पार्क से सम्बंधित सभी अधिकारी लगभग 12.30 मौके पर पहुंचे। मौका मुआइना एवं उपलब्ध क्षेत्रीय अमले की सहायता से सम्पूर्ण क्षेत्र का बारीकी से निरीक्षण किया गया।
मौके पर पाई गई स्थिति को दृष्टिगत रखते हुये एवं शवपरीक्षण के उपरान्त प्रथम दृष्टया उक्त बाघिन (उम्र लगभग 7-9 वर्ष) को किसी अन्य मांसाहारी वन्य प्राणी संभवतः बाघ द्वारा मारा गया है। मारने के बाद उक्त बाघिन के शव को पूर्ण रूप से बाघ द्वारा एवं परभक्षीयों द्वारा खाया गया हैं। बाघ के अवशेषो में सम्पूर्ण अस्थितंत्र, समस्त नाखून, समस्त दांत, मूंछ के बाल आदि मौके पर ही पाये गये। आस – पास के वनक्षेत्र में भी किसी प्रकार की कोई संधिग्ध स्थिति नहीं पाई गई।बाघिन के शव को सूपखार परिसर में लाया जाकर आवश्यक नाप – जोख की गई, आवश्यक सेम्पल लिये गये। इसके बाद शव को क्षेत्र संचालक, कान्हा टायगर रिजर्व मण्डला एवं पार्क के अन्य अधिकारियों, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नईदिल्ली के प्रतिनिधि के रूप में डब्लूडब्लूएफ इंडिया के मनोनीत सदस्य आर. के. हरदहा एवं कार्बेेट फांउडेशन के प्रतिनिधि अनिरूध धमोरीकर के समक्ष शव परीक्षण उपरान्त जलाकर नष्ट कर दिया गया। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया की फोटोग्राफी एवं विडियोग्राफी रिकार्ड की गई है।
किसी बाघ द्वारा अन्य बाघ को मारेजाने एवं खाये जाने की घटनाये बाघों के उच्च धनत्व वाले क्षेत्रो में एक समान्य घटना मानी जाती है। इस तरह की घटनायें बाघों की स्वस्थ्य पापुलेशन एवं बाघों के उच्च घनत्व का सूचक भी मानी जा सकती है। विगत दो वर्षों में कान्हा टायगर रिजर्व में 36 से अधिक शावको का जन्म हुआ है। कान्हा टायगर रिजर्व मेंबाघों की बढ़ती हुई संख्या आस-पास के अन्य संरक्षित क्षेत्रां एवं आरक्षित वनों के लिये एक शुभ संकेत है।
रिपोर्ट- @सैयद जावेद अली