अयोध्या में विवादित जमीन को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी पर निशाना साधा है।
ओवैसी ने कहा कि जैसा कि कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुनाने के दौरान कहा कि बाबरी मस्जिद गैर-कानूनी थी, तो फिर इसे ढहाने को लेकर एल के आडवाणी और अन्य पर मुकदमा क्यों चल रहा है?
हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बात करते हुए कहा कि जिस इंसान ने किसी का घर गिराया, उसे कैसे वही घर दिया जा सकता है।
एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में खामियां बताई और कहा कि सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है लेकिन अचूक नहीं है।
जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि यदि एक व्यक्ति आपका घर गिरा देता है और आप पंच के पास जाते हैं और वह आपका घर उसी व्यक्ति को दे देता है, जिसने आपका घर गिराया और कहता है कि इसके बदले आपको दूसरी जगह जमीन दी जाएगी तो आपको कैसा लगेगा? मैं बस इतना पूछना चाहता हूं कि अगर बाबरी मस्जिद अवैध थी तो मस्जिद को ध्वस्त करने वाले बीजेपी नेताओं जिनमें आडवाणी और अन्य बड़े नेता शामिल हैं के खिलाफ मामला क्यों चल रहा है?
इससे पहले AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने फैसला आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी थी।
ओवैसी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा था कि मैं कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हूं। सुप्रीम कोर्ट वैसे तो सबसे ऊपर है, लेकिन अपरिहार्य नहीं है। हमें संविधान पर पूरा भरोसा है, हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं, हमें खैरात के रूप में 5 एकड़ जमीन नहीं चाहिए। हमें इस पांच एकड़ जमीन के प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए। हम पर कृपा करने की जरूरत नहीं है।
ओवैसी ने आगे कहा था कि अगर मस्जिद वहां पर रहती तो सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला लेती। यह कानून के खिलाफ है। बाबरी मस्जिद नहीं गिरती तो फैसला क्या आता है। जिन्होंने बाबरी मस्जिद को गिराया, उन्हें ट्रस्ट बनाकर राम मंदिर बनाने का काम दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के पांचों जजों की सहमति से फैसला सुनाया गया है। फैसला पढ़ने के दौरान पीठ ने कहा कि ASI रिपोर्ट के मुताबिक नीचे मंदिर था।
CJI ने कहा कि ASI ने भी पीठ के सामने विवादित जमीन पर पहले मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं। CJI ने कहा था कि हिंदू अयोध्या को राम जन्म स्थल मानते हैं। हालांकि, ASI यह नहीं बता पाया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी। मुस्लिम गवाहों ने भी माना कि वहां दोनों ही पक्ष पूजा करते थे।
रंजन गोगोई ने कहा कि ASI की रिपोर्ट के मुताबिक खाली जमीन पर मस्जिद नहीं बनी थी। साथ ही सबूत पेश किए हैं कि हिंदू बाहरी आहते में पूजा करते थे।
साथ ही CJI ने कहा था कि सूट -5 इतिहास के आधार पर है जिसमें यात्रा का विवरण है। सूट 5 में सीतार रसोई और सिंह द्वार का जिक्र है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए शांतिपूर्ण कब्जा दिखाना असंभव है।
CJI ने कहा कि 1856-57 से पहले आंतरिक अहाते में हिंदुओ पर कोई रोक नहीं थी। मुसलमानों का बाहरी आहते पर अधिकार नहीं रहा।