आगरा : जनपद के कस्बा शमशाबाद के लखुरानी गांव के तालाब में 2 दिन से कछुओं की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। तलाब में 2 दिनों से मृत कछुआ के शव तैरते हुए दिखाई दे रहे हैं। 2 दिनों में अभी तक 121 कछुओं की मौत हो गई है।
इतनी भारी संख्या में कछुओं की मौत से ग्रामीणों के साथ साथ वन विभाग में भी हाहाकार मचा हुआ है। ग्रामीण ने ग्राम प्रधान के साथ कछुओं की मौत की सूचना वन विभाग को उपलब्ध करा दी है। शुक्रवार को इस घटना को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग की एक टीम एक बार फिर लखुरानी गांव पहुंचे। जहां पर वन विभाग के अधिकारियों ने सैकड़ों कछुओं के शव को जांच के लिए ले लिया। साथ ही तालाब के पानी की जांच के लिए सैंपल भी भर लिए।
इस घटना के कारण वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। ग्रामीण विकास में ग्राम प्रधान का कहना है कि यह पहली बार हुआ है जब इस तालाब में इतनी तादाद में कछुओं की मौत हुई हो। घटनास्थल पहुंचे विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच पड़ताल की जाएगी जांच के लिए सैंपल भर लिए हैं और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता लग जाएगा कि कछुओं की मौत क्यों हो रही है और इसे कैसे रोका जा सकता है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार करना होगा
आगरा से 80 किलोमीटर दूर पिनहट के चद्दमीपुर गांव के तालाब में 100 से अधिक विलुप्त होती प्रजाति के कछुए मरे मिले। मरे हुए कछुए इंडियन फ्लैपशेल प्रजाति के बताये जा रहे हैं। घटना के बाद फॅारेस्ट रेंजर की एक टीम और जिला वन कार्यालय ने गांव जाकर तालाब से मरे हुए कछुओं को निकाला।
जिला वन अधिकारी कृष्णा कुमार के मुताबिक के तालाब में कचरे के अधिक मात्रा में फैलने और सीवेज के पानी के घुलने की वजह से पैदा हुए जल प्रदूषण के चलते इन कुछओं की हुई है। हालांकि उन्होंने तालाब में रह रहे जलपक्षियों के झुंड पर प्रदूषण के कोई असर नहीं देखने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार करना होगा।
बचाव दल 26 जिंदा कछुओं को निकालने में कामयाब रहा, हालांकि 100 से ज्यादा कछुओं के मरने की उम्मीद जताई जा रही है। गांव वालों ने बताया कि तालाब में 500 से ज्यादा कछुए रहा करते थे पर अब एक भी नहीं दिखते। मरे हुए कछुओं को कोर्ट में पेश किया जायेगा और उसके बाद इंडियन वेटनरी इंस्टिट्यूट बरेली भेजकर उनकी मौत की वजहों की जांच की जायेगी।
रिपोर्ट – राघवेंद्र कुशवाहा