मोदी कैबिनेट ने तीन तलाक यानी ट्रिपल तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी, मगर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस अध्यादेश पर अपनी नाराजगी जाहिर की है और इसे मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ बताया है।
ओवैसी ने ट्रिपल तलाक के बहाने प्रधानमंत्री से उन विवाहित महिलाओं के लिए कानून लाने की मांग की है, जिन्हें उनके पतियों द्वारा चुनावी शपथ पत्र में नाम देते हैं कि वे पत्नी के साथ रहते हैं, मगर उन्हें छोड़ दिया जाता है।
इतना ही नहीं, ओवैसी का कहना है कि इंस्टेंट ट्रिपल तलाक के खिलाफ लाए गये अध्यादेश से मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ नहीं मिलेगा।
बता दें कि आज पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दी और अब इसे 6 महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों से पारित करवाना होगा।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इंस्टेंट ट्रिपल तलाक के खिलाफ लाए गए अध्यादेश पर कहा, “यह अध्यादेश मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है। इस अध्यादेश से मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ नहीं मिलेगा। इस्लाम में शादी एक सामाजिक अनुबंध है, और उसमें सज़ा के प्रावधान को जोड़ना गलत है।’
आगे ओवैसी ने कहा कि ‘यह अध्यादेश असंवैधानिक है। यह अध्यादेश संविधान में दिए गए समानता के अधिकार के खिलाफ है, क्योंकि यह सिर्फ मुसलमानों के लिए बनाया गया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तथा महिला संगठनों को इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी चाहिए।”
ओवैसी ने कहा कि ‘मैं प्रधानमंत्री से मांग करता हूं कि उन विवाहित महिलाओं के लिए कानून की राष्ट्रीय आवश्यकता है, जिनकी संख्या 24 लाख है और उनके पति अपने चुनावी शपथ पत्र में कहते हैं कि वे विवाहित हैं मगर पत्नी उनके साथ नहीं रह रही हैं। प्रधानमंत्री को उन परित्यक्त विवाहित महिलाओं के लिए कानून लाना चाहिए। ‘