लखनऊ- पंचायत चुनावों में सांसद असादुद्दीन ओवैसी सपा की राह में कांटे बिछाएंगे। उनकी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) इन चुनावों से यूपी में दस्तक देने जा रही है। एआईएमआईएम ने 40 जिलों में जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इन सीटों पर दावेदारों से आवेदन भी मांग लिए गए हैं। जल्द ही प्रत्याशियों का चयन किया जाएगा।
यूपी में सियासी जमीन तैयार करने के लिए एआईएमआईएम एक साल से तैयारी में जुटी है। प्रदेश में संगठन का ढांचा खड़ा किया जा रहा है। राजधानी में प्रदेशस्तरीय कार्यालय बना लिया गया है। कुछ जिलों में बूथ स्तर की कमेटियां बनाने का काम भी चल रहा है।
ओवैसी को प्रदेश में सभा और रैलियां करने की अनुमति नहीं मिल रही है। शायद इसी वजह से उन्होंने रमजान के दौरान मेरठ और आगरा में रोजा इफ्तारी के कार्यक्रमों के जरिये जनता की नब्ज भांपने की कोशिश की। उनकी नजर प्रदेश के लगभग 20 फीसदी मुस्लिम वोट बैंक पर है। युवा खासतौर से उनके निशाने पर हैं।
एआईएमआईएम पहली बार अगले महीने प्रस्तावित जिला पंचायत चुनाव में भाग लेगी। ऐसा माना जा रहा है कि ओवैसी उन वार्डों में ही जिला पंचायत चुनाव में प्रत्याशी लड़ाएंगे जहां मुस्लिम आबादी अपेक्षाकृत ज्यादा है। मुसलमान वोटों पर सपा की भी नजर रहती है। एआईएमआईएम के चुनाव मैदान में उतरने से पंचायत चुनाव में कुछ जिलों में सपा का गणित प्रभावित हो सकता है।
एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने बताया कि 40 जिलों में जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में उम्मीदवार उतारने का फैसला किया गया है। इन जिलों में सभी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा जाएगा। उन चुनिंदा सीटों पर ही चुनाव लड़ा जाएगा जहां प्रत्याशी, संगठन और माहौल बेहतर होगा।
उन्होंने बताया कि जिला पंचायत के अधिकतर वार्डों से दावेदारों के आवेदन आ गए हैं। कुछ जगह तो चुनाव लड़ने के लिए पांच से दस आवेदक हैं। जल्द ही इनमें से बेहतर प्रत्याशी चुन कर उन्हें मजबूती से लड़ाया जाएगा।
शौकत का कहना है कि प्रदेश सरकार ने ओवैसी की रैली पर रोक लगा रखी है। वह देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद में तो बोल सकते हैं लेकिन यूपी के किसी शहर या गांव में नहीं। सभाओं की मंजूरी न देने के मामले में हाईकोर्ट में 14 सितंबर को सुनवाई होगी। हाईकोर्ट से रैली की इजाजत मिली तो पंचायत चुनाव में सांसद असादुद्दीन ओवैसी की सभाएं कराई जाएंगी।