AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। ओवैसी ने बांग्लादेशी, पाकिस्तानी और तमिल शरणार्थियों का हवाला देते हुए सरकार से रोहिंग्या लोगों को भी भारत में रहने देने की वकालत की। ओवैसी ने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि अगर बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ‘बहन’ हो सकती है तो रोहिंग्या ‘भाई’ बन सकते हैं।
ओवैसी ने शुक्रवार को कहा कि दूसरे देशों के शरणार्थियों की तरह ही रोहिंग्या मुसलमानों को भी भारत में शरण देनी चाहिए। बता दें कि पिछले महीने ही गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि करीब 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या अवैध ढंग से भारत में रह रहे हैं। इनमें ज्यादातर लोग जम्मू, हैदराबाद, हारियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली एनसीआर और राजस्थान में रह रहे हैं। सरकार इन्हें वापस भेजना चहाती है।
ओवैसी ने मशहूर बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि तसलीमा भारत में निर्वासित जिंदगी जी रही हैं। अगर तसलीमा पीएम मोदी की बहन हो सकती हैं तो रोहिंग्या मुसलमान भी भाई हो सकते हैं।
उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमें बड़ा दिल दिखाते हुए रोहिंग्या को शरण देना चाहिए।
जब लाखों लोग शरणार्थी के तौर पर भारत में रह रहे हैं तो 40 हजार रोहिंग्या को भी यहां जगह दी जा सकती है। जिन लोगों का सबकुछ लुट चुका है और जिनके पास मानवाधिकार आयोग की शरणार्थी पर्ची है उन्हें सरकार वापस भेजने पर क्यों आमादा है?’
ओवैसी ने साथ ही भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ‘भारतीय सरकार सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता चाहता है। क्या यही सुपर पावर का नजरिया होता है?’ ओवैसी ने 1971 में भारत आए चकमा शरणार्थियों का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि चकमा शरणार्थी अरुणाचल प्रदेश में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को बतौर मेहमान यहां शरण दे रखी है। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार रोहिंग्या को शरण देकर उनके बच्चों के इज्जत भरी जिंदगी जीने का मौका देंगे। हमारे संविधान में समानता और जीवन का अधिकार दिया गया है। यह अधिकार केवल देश के नागरिकों को ही नहीं बल्कि शरणार्थियों को भी दिया गया है।’