अजमेर स्तिथ सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के स्थान पर पहले शिवलिंग होने का दावा करने वाले महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार के दावे को दरगाह की अंजुमन कमेटी ने सिरे से खारिज किया है।
उत्तर प्रदेश के काशी के ज्ञानवापी मसला अभी पूरी तरह से सुलझा भी नहीं है। इसी बीच राजस्थान के अजमेर में भी दरगाह के नीचे शिवलिंग होने का दावा कर दिया गया है। इतना ही नहीं ज्ञानवापी की तरह ही यहां भी सर्वे कराने की मांग की जा रही है।
सोशल मीडिया पर महाराणा प्रताप सेना नाम के फेसबुक पेज पर राजवर्धन सिंह परमार की एक पोस्ट ने नई सनसनी फैला दी।
परमार ने फेसबुक पेज पर अजमेर दरगाह के नीचे शिवलिंग होने का दावा करते हुए मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार को जांच के लिए पत्र लिखा है।
प्रताप सेना के फेसबुक पेज पर लिखी गई इस पोस्ट में एक तस्वीर साझा की गई है, जिसमें स्वास्तिक का निशान नजर आ रहा है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक सीआईडी की और से इस पूरे मामले में की गई पड़ताल के बाद सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमे इस तस्वीर को दरगाह का नहीं बताकर कुछ ही दूर स्तिथ अढ़ाई दिन के झोपड़े का बताया गया है।
इस बीच बीते गुरुवार को एडीएम सिटी भावना गर्ग, एएसपी वैभव शर्मा दरगाह पहुंचे। हालंकि मीडिया से बातचीत में एडीएम सिटी ने दरगाह दौरे को इस विषय से ना जोड़ते हुए रूटीन व्यवस्थाओं का जायजा और सुरक्षा समीक्षा का होना बताया।
अजमेर स्तिथ सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के स्थान पर पहले शिवलिंग होने का दावा करने वाले महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार के दावे को दरगाह की अंजुमन कमेटी ने सिरे से खारिज किया है।
खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी के अध्यक्ष और सचिव ने मीडिया के सामने आकर दिए बयान में इस दावे को झूठा बताया और कहा की इस जगह पर कभी ऐसा कुछ नहीं रहा।
अंजुमन अध्यक्ष मोईन सरकार ने कहा की गरीब नवाज की दरगाह धर्म जात के बंधन से परे हटकर सर्वधर्म सदभाव की प्रतीक है। यहां मुसलमानों से ज्यादा हिंदू अपनी मुरादे लेकर जियारत के लिए आते हैं और इस तरह के बयान जारी कर आस्था पर ठेस पहुंचाई जा रही है।
अंजुमन सचिव वाहिद हुसैन अंगारा ने कहा की इस तरह के झूठे दावे कर गंगा जमुनी संस्कृति को बिगाड़ने और अशांति फैलाने वाले के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।