नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यूपी के अमेठी में इंडो-रूस की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का उद्घाटन किया। इस फैक्ट्री में अत्याधुनिक राइफल AK-203 का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए भारत सरकार ने रूस की एक कंपनी से करार किया है। इसके तहत अमेठी स्थित कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी में 7.50 लाख असॉल्ट राइफलों का निर्माण किए जाने का समझौता हुआ है। भारतीय सेना जल्द ही इन अत्याधुनिक राइफलों का इस्तेमाल करती नजर आएगी।
AK-सीरीज का अपडेट वर्जन
AK-203 एके-सीरीज की अबतक की सबसे अपडेट राइफल है। AK-47 सबसे बेसिक मॉडल है। इसके बाद AK- 74, 56, 100 और 200 सीरीज आ चुकी है। AK-203 राइफल को पूरी तरह से लोड कर दिए जाने के बाद इसका वजन 4 किलोग्राम के आसपास हो जाएगा। AK-203 राइफल में ऑटोमैटिक और सेमी-ऑटोमैटिक दोनों तरह के वैरियंट मौजूद होंगे। हाइटेक AK-203 राइफल से एक मिनट में 600 गोलियां दागी जा सकती हैं। यह राइफल 400 मीटर दूरी पर स्थित दुश्मन पर भी निशाना साध सकती है।
‘मेक इन इंडिया’ के तहत निर्माण
एलओसी और सीमा पर आतंकियों और पाकिस्तानी सेना के साथ संघर्ष लगातार जारी है। ऐसे में रक्षा मंत्रालय की मानना है कि सीमा पर तैनात जवानों को अत्याधुनिक हथियार दिए जाएं। AK-203 को शुरुआत में भारतीय सेना, एयरफोर्स, नेवी के जवानों को दिया जाएगा। इसके बाद अर्धसैनिक बल और राज्य पुलिस के जवानों भी इसका इस्तेमाल करेंगे। इन हथियारों का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत किया जाएगा।
विश्वयुद्ध में हुआ आविष्कार
रूस के मिखाइल कलाशनिकोफ ने AK-47 राइफल का आविष्कार किया था। AK-47 का आविष्कार द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान किया गया था। कलाशनिकोफ साल 1939 में रूसी सेना में भर्ती हुए थे। साल 1941 में युद्ध के दौरान टैंक का गोला लगने से वो गंभीर रूप से घायल हो गए। जर्मनी ने उस समय तक एसॉल्ट राइफल बनाने में महारत हासिल कर ली थी। रूस की सेना एसॉल्ड राइफलों के आगे बेबस सी हो गई थी।
कलाशनिकोफ अस्पताल में भर्ती थे। उनके मन में जर्मनी की एसॉल्ट राइफल का जवाब देने की बात चल रही थी। इसी दौरान उनसे एक रूसी सैनिक ने कहा कि रूसी सेना ऐसी बंदूक क्यों नहीं बना लेती जो जर्मन हथियारों का मुकाबला कर सके। कलाशनिकोफ को यह बात लग गई और उन्होंने इसकी योजना बनानी शुरू की।
कलाशनिकोफ ने सबसे पहले एक मशीन गन बनाई। उन्होंने कहा कि इसे आवटोमैट कलाशनिकोवा कहा जाएगा। इसका मतलब था- ‘कलाशनिकोफ का ऑटोमैटिक हथियार’। शुरुआती दिनों में इसे चलाने में कई तरह की दिक्कतें पेश आईं। साल 1947 में उन्होंने आवटोमैट कलाशनिकोवा का एक विकसीत मॉडल पेश किया। इसे ही एके-47 के नाम से जाना गया।
दुनियाभर में किया गया पसंद
AK-47 राइफल को दुनियाभर में पसंद किया गया। दुनिया की तमाम सेनाओं ने युद्ध के दौरान AK-47 राइफलों का जमकर इस्तेमाल किया। AK-47 को सबसे ज्यादा बिकने वाली राइफल भी बताया जाता है। अबतक दस करोड़ से ज्यादा AK-47 राइफलें बिक चुकी हैं। ये आज भी दुनियाभर की सेनाओं के पसंदीदा हथियारों में से एक हैं। और लगातार इसके अपडेटेड वर्जन आते रहते हैं।
आतंकियों की भी बनी फेवरेट
AK-47 राइफल आतंकियों की भी फेवरेट है। अबतक कई आतंकी घटनाओं में इसका इस्तेमाल किया जा चुका है। इसके साथ ही विभिन्न देशों के सक्रिय आपराधिक गुट भी AK-47 राइफल का जमकर इस्तेमाल करते हैं। AK-47 को छोटे स्तर पर अपराधियों का स्टेटस सिंबल भी माना जाता है। ऐसे में AK-47 राइफल का इस्तेमाल आतंकी और आपराधिक गतिविधियों में होना लगातार एक चुनौती बना हुआ है।
AK-47 से इन बड़ी आंतकी घटनाओं को दिया गया अंजाम
साल 2015 के नवंबर महीने में फ्रांस की राजधानी पेरिस में आंतकी हमला हुआ था। इस हमले में आतंकियों ने AK-47 राइफल का इस्तेमाल किया था। इसमें 130 लोग मारे गए थे।
साल 2015 में ही AK-47 से लैस आतंकियों ने ट्यूनिया में हमला किया। इसमें 38 लोगों की जान गई।
साल 2015 के मार्च महीने में ट्यूनिस में आंतकी हमला हुआ जिसमें आतंकियों ने AK-47 राइफल का इस्तेमाल किया। इस हमले में 22 लोग मारे गए।
ये AK-47 राइफल से दुनियाभर में हुए कुछ बड़े आतंकी हमले हैं। इनके अलावा भी कई बार AK-47 राइफल का हमलों में इस्तेमाल हो चुका है और लगातार किया जा रहा है।
चलाने के लिए ट्रेनिंग की जरूरत नहीं
AK-47 राइफल को चलाना बहुत आसान है। इसे चलाने के लिए किसी खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ती। यह इसकी सबसे बड़ी खासियत मानी जाती है। AK-47 राइफल को 2। 5 सेकेंड में रीलोड किया जा सकता है। इससे 710 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से गोली निकलती है। इसका विजिबल रेंज 800 मीटर है। 4। 8 किलोग्राम वजनी इस राइफल से एक मिनट में 600 गोलियां दागी जा सकती हैं