नई दिल्ली : राज्यसभा में आज गृहमंत्री अमित शाह ने एनआरसी मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों पर जवाब दिया। उन्होंने धर्म के आधार पर एनआरसी में भेदभाव किए जाने की आशंका को खारिज किया। गृहमंत्री ने कहा कि एनआरसी के आधार पर नागरिकता की पहचान सुनिश्चित की जाएगी और इसे पूरे देश में लागू करेंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म विशेष के लोगों को इसके कारण डरने की जरूरत नहीं है। यह एक प्रक्रिया है जिससे देश के सभी नागरिक एनआरसी लिस्ट में शामिल हो सकें।
एनआरसी में धर्म विशेष के आधार पर भेदभाव नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘एनआरसी में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है जिसके आधार पर कहा जाए कि और धर्म के लोगों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। सभी नागरिक भले ही उनका धर्म कुछ भी हो, एनआरसी लिस्ट में शामिल हो सकते हैं। एनआरसी अलग प्रक्रिया है और नागरिकता संशोधन विधेयक अलग प्रक्रिया है। इसे एक साथ नहीं रखा जा सकता।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जाएगा ताकि भारत के सभी नागरिक एनआरसी लिस्ट में शामिल हो सकें।
Home Minister Amit Shah in Rajya Sabha: NRC has no such provision which says that no other religion will be taken under NRC. All citizens of India irrespective of religion will figure in the NRC list. The NRC is different from Citizenship Amendment Bill https://t.co/vYMnH9SKQL
— ANI (@ANI) November 20, 2019
बता दें कि सैयद नासिर हुसैन ने राज्यसभा में कोलकाता में दिए अमित शाह के बयान के आधार पर सवाल पूछा था। कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘मैं सिर्फ होम मिनिस्टर से जानना चाहता हूं कि आपने कोलकाता में कहा था कुछ 5-6 धर्म के लोगों का नाम लिया था और मुसलमान का नाम नहीं लिया था। आपने कहा था कि इन सभी धर्म के लोगों को नागरिकता मिलेगी भले ही वह इललीगल तरीके से ही रह रहे हों। इसके कारण मुसलमानों के अंदर असुरक्षा की भावना आई। नागरिकता विधेयक और एनआरसी अलग प्रक्रिया हैं, यह जानता हूं।’
इसके जवाब में केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ‘हिंदू, बुद्ध, सिख, जैन, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। इसके लिए सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल अलग से है ताकि इन शरणार्थियों को नागरिकता मिल सके। इन्हें पाकिस्तान, बांग्लादे और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर भेदभाव का शिकार होना पड़ा था।’