ऑल इंडिया बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमिटी (एआईबीएमएसी) ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर आरोप लगाया कि वह संविधान और न्यायालय में दायर स्वलिखित निवेदन के खिलाफ जाकर एक समुदाय विशेष के लिए काम कर रही है।
इसके पहले योगी सरकार के कुछ मंत्रियों ने बाबरी मस्जिद के खिलाफ बयान दिए थे, जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायालय में स्वलिखित अर्जी दायर की थी।
एआईबीएमएसी ने बताया कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेताओं ने जो बयान दिया था, वह राम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद मामले पर चल रही न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ है।
एआईबीएमएसी ने गुरुवार रात जारी एक बयान में कहा, ‘1950 में अदालत में एक लिखित बयान में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकार किया कि नमाज अदा करने के उद्देश्य से बाबरी मस्जिद पिछले कुछ सालों से उपयोग में है और हिंदुओं द्वारा इस परिसर में कोई पूजा आयोजित नहीं की गई है। वर्तमान सरकार अपने बयान के अनुरूप काम नहीं कर रही है।’
आगे यह भी कहा गया, ‘ऐसा लगता है, मानो राज्य सरकार इसे एक विशेष धर्म के लोगों की सरकार मानती हो। यह असंवैधानिक है।’
मौर्य ने हाल ही में अयोध्या में कहा था कि यदि मुद्दे को बातचीत के माध्यम से या अदालत द्वारा हल नहीं किया जाता तो सरकार राम मंदिर बनाने के लिए एक कानून लाएगी।
एआईबीएमएसी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने शुक्रवार को मीडिया को बताया, ‘दिसंबर में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब तक अदालत का फैसला नहीं आ जाता, तब तक सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी, इसलिए इन बयानों का कोई मूल्य नहीं है।’