लखनऊ – यूपी के कद्दावर कैबिनेट मंत्री आजम खां और राज्यपाल राम नाईक के बीच बढ़ते विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दखल दिया है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अपनी भाषा से सभ्यता का स्तर बढ़ाएं, मतभेद नहीं। साथ ही हाईकोर्ट ने राज्यपाल के खिलाफ विधानसभा में कथित रूप से असंसदीय भाषा के इस्तेमाल करने के कारण आजम खान को मंत्रिपरिषद से हटाने की मांग पर दखल देने से मना कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री, स्पीकर और मंत्री संवैधानिक पद धारण करते हैं। उनसे आशा है कि वे जल्द ही इस मुद्दे को सुलझा लेंगे। बता दें कि आजम खान के मुद्दे पर गवर्नर बेहद नाराज हैं। सार्वजनिक मंचो से गवर्नर ने आजम को हटाने की मांग की थी।
विधानसभा अध्यक्ष राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे, जहां दोनों की करीब 1 घंटे तक बैठक चली। इस दौरान आजम खान की टिप्पणी पर माता प्रसाद ने अपना पक्ष रखा। जानकारी के अनुसार, स्पीकर माता प्रसाद इस बैठक का ब्यौरा सीएम अखिलेश यादव को बताएगे। हालांकि, सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि आजम खान की टिप्पणी असेंबली में की गई थी।
असेंबली की कार्यवाही में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। यह भी कहा गया कि आजम के असंसदीय शब्दों को स्पीकर ने स्वयं ही कार्यवाही से निकलवा दिया है। यह टिप्पणी जस्टिस एपी साही और जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने स्थानीय वकील अशोक पांडे की रिट पर दी। याचिका में कहा गया था कि बजट सत्र के द्वारा विधानसभा में आजम खान की राज्यपाल पर टिप्पणी अमर्यादित थी।
इसके बाद राज्यपाल ने चीफ मिनिस्टर को भी चिट्टी लिखकर नाराजगी जताई। याची का तर्क था कि इससे स्पष्ट है कि आजम खान बतौर मंत्री राज्यपाल का प्लेजर खाे चुके हैं। यदि एक मंत्री राज्यपाल का प्लेजर खो दे तो अपने पद पर नहीं बना रह सकता।
ज्ञातव्य हो कि विधान सभा अध्यक्ष ने राज्यपाल से मिलने के लिए समय प्रदान करने का अनुरोध किया था। राज्यपाल ने भेट के दौरान विधान सभा अध्यक्ष को बताया कि कौन-कौन से विधेयक किन-किन कारणों से उनके विचाराधीन हैं।
राज्यपाल के पास 6 विधेयक क्रमशः (1) उत्तर प्रदेश नगर पालिका विधि (संशोधन) विधेयक, 2015 (2) उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2015 (3) उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग (संशोधन) विधेयक, 2015 (4) उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई इटावा विधेयक, 2015 (5) उत्तर प्रदेश लोक आयुक्त तथा उप लोक आयुक्त (संशोधन) विधयेक, 2015 तथा (6) डाॅ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान विधेयक, 2015 विचाराधीन हैं।
रिपोर्ट :- शाश्वत तिवारी