गुरुग्राम में सोमवार शाम संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के बैनर तले कई संगठनों ने प्रदर्शन किया। इनकी मांग थी कि मुस्लिम लोगों के नमाज पढ़ने के दौरान बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार लोगों पर दर्ज केस वापस लिए जाएं। इन्होंने यह भी मांग की है कि शहर में खुले में नमाज पढ़ने पर रोक लगनी चाहिए।
बता दें कि यहां के सेक्टर 53 इलाके में 20 अक्टूबर को एक खाली प्लॉट पर कुछ लोग नमाज पढ़ रहे थे। आरोप है कि 6 लोगों ने नमाज पढ़ने के दौरान हंगामा किया और नमाजियों को वहां से जाने को कहा। बाद में घटना का वीडियो वायरल होने के बाद आरोपियों पर पुलिस ने एक्शन लिया था।
प्रदर्शन करने वाले संगठनों के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने यह भी धमकी दी है कि वह खुले में नमाज रोकने के लिए शुक्रवार को सड़क पर उतरेंगे।
वहीं, सोमवार सुबह साढ़े 10 बजे करीब 50 प्रदर्शनकारी शहर के कमला नेहरू पार्क में इकट्ठे हुए। यहां से उन्होंने मिनी सचिवालय तक मार्च निकाला। इसके बाद, प्रदर्शनकारियों ने सीएम मनोहर लाल खट्टर को लिखी गई एक चिट्ठी डिप्टी कमिश्नर विनय प्रताप सिंह को सौंपी।
चिट्ठी में प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सेक्टर 53 में शुक्रवार को पढ़ी जाने वाली नमाज गैरकानूनी ढंग से जमीन कब्जाने की शुरुआत है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नमाजियों ने वहां ‘भारत विरोधी’ और ‘पाकिस्तान के समर्थन’ में नारे लगाए।
संगठन ने अपनी चिट्ठी में आरोप लगाया है, “बीते डेढ़ महीने से कुछ लोग गुड़गांव के वजीराबाद स्थित एक जमीन के टुकड़े पर नमाज पढ़ रहे हैं। उनका मकसद इस पर अवैध ढंग से कब्जा करना है। ‘हिंदुस्तान मुर्दाबाद’ और ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारों की वजह से वहां का माहौल खराब हो रहा है। जब कुछ देशभक्त युवकों ने उन्हें ऐसा करने से रोका तो पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई की।
क्या ‘जय श्री राम’ और ‘वंदे मातरम’ बोलना अपराध है, जिसकी वजह से युवाओं को गिरफ्तार किया गया?” वहीं, बताई गई जगह पर बीते 10 साल से नमाज पढ़ने वालों ने आरोपों को खारिज किया है।
मामले में शिकायतकर्ता और नेहरू युवा संगठन वेलफेयर सोसाइटी चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रमुख वाजिद खान ने कहा, “हम नमाज पढ़ते वक्त एक-दूसरे से बात भी नहीं करते। नारे लगाने का तो सवाल ही नहीं उठता। ये सब झूठे आरोप हैं।”
उधर, प्रदर्शन करने वाले संगठन की चिट्ठी में लिखा है, “गुरुग्राम में रह रहे रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों की पहचान होनी चाहिए। उन्हें हिंदू कॉलोनियों, सेक्टरों और पास-पड़ोस में नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। इस तरह की इजाजत केवल उन जगहों पर दी जानी चाहिए, जहां इनकी आबादी 50 पर्सेंट से ज्यादा हो। अगर ऐसा नहीं हुआ तो शांति भंग का खतरा बना रहेगा।”
बता दें कि पिछले महीने 20 अप्रैल को खाली प्लॉट पर नमाज शुरू होने से ऐन पहले कुछ लोग मौके पर पहुंचे थे। घटना से जुड़े वीडियो में दिखता है कि इन लोगों ने ‘जय श्री राम’ और ‘राधे-राधे’ के नारे लगाए। साथ ही, वहां आए लोगों को जाने के लिए कहा। बीते हफ्ते इस मामले में केस दर्ज हुआ।
आरोपियों की पहचान अरुण, मनीष, दीपक, रोहित, रवींदर और मोनू के तौर पर हुई है। ये सभी वजीराबाद और कन्हाई गांवों के रहने वाले हैं। इन्हें रविवार को जमानत मिल गई थी।
उधर, प्रदर्शन करने वाले संगठनों में से एक बजरंग दल के जिलाध्यक्ष अभिषेक गौर ने चेतावनी दी, “हमने जिला प्रशासन से दरख्वास्त की है कि खुले में नमाज पर रोक लगाई जाए। हम टीम बनाकर इस शुक्रवार को नजर रखेंगे, ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि सरकारी जमीनों पर गैरकानूनी ढंग से खुले में नमाज न पढ़ी जा सके।”