वाशिंगटन : अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चौपट करने के लिए चीन को घेरने की बात कही है। अमेरिकी विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने कहा कि इसके लिए बीजिंग की जवाबदेही तय की जाएगी। उन्होंने अपने चीनी समकक्ष यांग जेइची के साथ बातचीत में यह सख्त संदेश देने के साथ ही चीन के शिनजियांग, तिब्बत एवं हांगकांग में मानवाधिकार उल्लंघनों के मुद्दे को भी उठाया। दोनों नेताओं के बीच फोन पर यह वार्ता शुक्रवार को हुई।
पहली शीर्ष वार्ता : गत 20 जनवरी को जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों देशों में यह पहली शीर्ष स्तरीय वार्ता है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ‘ब्लिंकन ने इस बात पर जोर दिया कि शिनजियांग, तिब्बत व हांगकांग समेत सभी मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए अमेरिका खड़ा रहेगा। साथ ही चीन पर दबाव बनाया जाएगा कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर म्यांमार में तख्तापलट की निंदा करे।’
मानवाधिकारों को लेकर घिरा है चीन : पिछले कुछ वर्षों से चीन को तिब्बत में मानवाधिकार उल्लंघनों और शिनजियांग में बड़े पैमाने पर उइगर मुस्लिमों को हिरासत में रखने को लेकर पश्चिमी देशों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। हांगकांग में दमनकारी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून थोपने पर भी बीजिंग की निंदा हो रही है।
चीन की तय होगी जवाबदेही : चीन ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट का विरोध भी नहीं किया है। इस देश की सेना के साथ उसके करीबी संबंध बताए जाते हैं। चीनी विदेश मंत्री के साथ बातचीत में ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर अपने साझा मूल्यों और हितों की रक्षा करेगा। ताइवान स्ट्रेट समेत हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता को खतरा पैदा करने के प्रयासों के लिए चीन को जवाबदेह बनाया जाएगा।
बाइडन भी दे चुके हैं सख्त रुख के संकेत : उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बीते बृहस्पतिवार को कहा था कि अमेरिका आने वाले वक्त में चीन की ओर से पेश की जाने वाली चुनौतियों का सीधे तौर पर सामना करेगा। बाइडन ने कहा था, ‘हम चीन द्वारा आर्थिक शोषण का मुकाबला करेंगे, मानवाधिकारों, बौद्धिक संपदा पर चीन के हमले को कम करने के लिए दंडात्मक कार्रवाई करेंगे। हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भी कहा था कि सरकार की प्राथमिकता चीन के आर्थिक शोषण से निपटना है।