इस्लामाबाद– दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी और अल कायदा का प्रमुख ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का कैदी था और एक पूर्व खुफिया अधिकारी ने 2.5 करोड़ डॉलर इनाम के लिए अमरीका को उसकी छुपने की जगह की जानकारी अमरीका को बेच दी। यह दावा वरिष्ठ पत्रकार सेमोर हर्ष ने किया है।
एक साक्षात्कार में हर्ष ने कहा कि पाकिस्तान के एबटाबाद में अमरीका ने लादेन के खिलाफ जो गुप्त अभियान चलाया था, उसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने पूरी मदद की थी। यदि यह मदद नहीं मिलती तो अमरीका के लिए ओसामा तक पहुंचना हरगिज संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि आईएसआई नहीं चाहती थी कि अभियान में पाकिस्तान के शामिल होने का कोई भी गवाह जिंदा बचे, लिहाजा अमरीका के साथ ही आईएसआई की भी यही इच्छा थी कि ओसाबा को खत्म कर दिया जाए।
लेखक का कहना है कि अमरीकी सरकार इस अभियान का पूरा श्रेय अभी तक खुद ही लेती रही है और यह दावा करती है कि तात्कालीन पाकिस्तानी सैन्य जनरल अशरफ परवेज कियानी या फिर आईएसआई के मुखिया जनरल अहमद शुजा पाशा को इसकी भनक भी नहीं थी। हर्षे के अनुसार यह दावा पूरी तरह गलत और झूठा है। अमरीका का यह दावा एलिस इन वंडर लैंड की कहानी जैसा ही रूमानी और काल्पनिक है।
लेखक का कहना है कि यह बात किसी के गले नहीं उतर सकती कि ओसामा जैसा दुर्दांत और शातिर आतंकवादी पाकिस्तान में इस्लामाबाद से महज 40 किलोमीटर दूर एक ऎसे स्थान पर छुपा रहा होगा, जहां कोई भी आसानी से पहुंच सकता था। हर्षे ने लादेन के खिलाफ अभियान में पाकिस्तानी सहयोग का विस्तृत ब्योरा देते हुए बताया कि अगस्त 2010 में पाकिस्तान के एक पूर्व खुफिया अधिकारी ने इस्लामाबाद स्थित अमरीकी दूतावास में तैनात अमरीकी गुप्तचर एजेंसी सीआईए के स्टेशन अधिकारी जोनाथन बैंक से मुलाकात की थी और उन्हें ओबामा के बारे में सभी गुप्त जानकारी देने की पेशकश की थी। उन्हें इसके बदले में अमरीकी सरकार की ओर से कोई बड़ा पुरस्कार दिए जाने का वादा किया गया था।
हर्षे ने कहा कि बैंक अब वॉशिंगटन में रहते हैं और सीआईए के लिए सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं। उनके बारे में अभी इससे ज्यादा कुछ कहना सही नहीं होगा। उन्होंने इस दावे को भी गलत बताया कि ओसामा पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से रह रहा था। उन्होंने कहा कि उसे आईएसआई ने नजरंबद किया हुआ था और उसकी इजाजत के बिना वह कहीं आ जा नहीं सकता था। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब सरकार को भी इसकी जानकारी थी और वह भी यही चाहती थी कि ओसामा आईएसआई की निगरानी में रहे।
साक्षात्कार के दौरान लेखक की ओर से सबसे आश्चर्यजनक खुलासा यह किया गया कि जब अमरीका ने पाकिस्तान से संपर्क साधकर ओसामा के बारे में जानकारी मांगी तब पाकिस्तान सरकार ने उसे यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि अभियान में ओसामा मारा जाना चाहिए और उसकी मौत का खुलासा एक सप्ताह बाद होना चाहिए। हालांकि जब पाकिस्तानी अधिकारी ने एक दिन ओसामा की सही जानकारी अमरीकी अधिकारियों तक पहुंचाई तो उन्हें इस पर विश्वास नहीं हुआ और इसके लिए उन्हें पोलीग्राफी मशीन की जांच से गुजरना पड़ा। यह मशीन यह बताती है कि कोई व्यक्ति झूठ तो नहीं बोल रहा है। – एजेंसी