नई दिल्ली: अमेरिका ने गुरुवार शाम को अफगानिस्तान में जो अब तक का सबसे बड़ा गैर एटमी बम गिराया है, उसमें अफगान अधिकारियों के मुताबिक 36 आतंकी मारे गए हैं। इस हमले में एक भारतीय नागरिक मुर्शीद के मारे जाने की भी खबर है। माना जा रहा है कि वह केरल का रहने वाला था। इस संबंध में कल एक फोन उसके परिजनों के पास आया। उल्लेखनीय है कि पिछले साल केरल से 22 लोग लापता हुए थे। उनमें से चार महिलाएं भी थीं। सभी टेलीग्राम के जरिये अपने परिवारों के संपर्क में थे। माना जा रहा है कि उनमें से 17 भारतीय अफगानिस्तान के नंगरहार क्षेत्र में थे। इसी क्षेत्र में अमेरिका ने हमला बोलते हुए अब तक का सबसे बड़ा बम गिराया है। अफगान सरकार के मुताबिक उसके साथ तालमेल बिठाते हुए अमेरिकी सरकार ने यह कार्रवाई की।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने गुरुवार को कहा कि उसने अब तक के सबसे बड़े गैर परमाणु बम का इस्तेमाल करते हुए इस GBU-43 बम को पूर्वी अफगानिस्तान में शरण लिए इस्लामिक स्टेट आतंकियों के ठिकानों पर गिराया है। करीब 9,800 किग्रा वाले इस बम को सबसे बड़ा बम बताया जाता है। पेंटागन के प्रवक्ता ने बताया कि पहली बार इस बम का प्रयोग किया गया है और इसे MC-130 एयरक्राफ्ट से गिराया गया। इसको ‘मदर ऑफ ऑल बम’ कहा जाता है। यह बम नानगरहार प्रांत के अचिन जिले में एक सुरंगनुमा इमारत (टनल कॉम्पलैक्स) पर गिरा। अफगानिस्तान में अमेरिकी सुरक्षा बलों ने एक बयान में यह जानकारी दी। यह हमला स्थानीय समय के अनुसार गुरुवार शाम 7:32 (1502 जीएमटी) बजे हुआ। अफगानिस्तान के जिस इलाके में यह बम गिराया, वह पाकिस्तान सीमा के नजदीक है। पेंटागन के प्रवक्ता एडम स्टम्प ने बताया कि इस हथियार का लड़ाई में पहली बार इस्तेमाल किया गया।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता सीन स्पाइसर ने कहा कि हमने ISIS के आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सुरंगों और खोहों को निशाना बनाया। इस बात का पूरा ध्यान रखा गया कि इससे आम नागरिकों और उनकी संपत्तियों को कोई नुकसान न पहुंचे। स्पाइसर ने कहा कि ISIS के खिलाफ लड़ाई को अमेरिका बेहद गंभीरता से ले रहा है। अफगानिस्तान में अमेरिकी और विदेशी सुरक्षा बलों के प्रमुख जनरल जॉन निकोलसन ने कहा कि इस बम का इस्तेमाल ISIS के लड़ाकों के खिलाफ हुआ, जो सुरंगों को अपना ठिकाना बनाए रहते हैं।
इस बम को ‘सभी बमों की जननी’ भी कहा जाता है. यह अमेरिका का सबसे बड़ा गैर परमाणु बम है। जीपीएस गाइडेड यह बम जमीन से ठीक पहले फटता है और इसका दायरा काफी बड़ा होता है। अंडरग्राउंड टारगेट को नष्ट करना सबसे बड़ी खासियत होती है। मार्च 2003 में इराक युद्ध से ठीक पहले इसका टेस्ट किया गया।
इस GBU-43 बम का वजन 21,600 पाउंड (9,797 किग्रा) है। इसका पहली बार परीक्षण मार्च 2003 में ईराक युद्ध शुरू होने से कुछ दिन पहले ही किया गया था। इसमें 11 टन विस्फोटक पदार्थ आता है. पेंटागन के प्रवक्ता एडम स्टंप ने बताया कि यह पहला मौका है जब अमेरिका ने इस बम का इस्तेमाल किया है।