अमेठी- आज कल पृथ्वी निवासी अपने निजी स्वार्थों के चलते कछुओं को बड़ी तेज़ी से खत्म करते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के अमेठी में कछुओं पर संकट के बादल मड़रा रहे हैं। अगर जल्द ही कछुओं का संरक्षण नहीं किया गया तो वे इतिहास के पन्नों ही में सिमट जाएंगे।
वहीँ यूपी में कछुओं की तस्करी की बढ़ती घटनाओं से चिन्तित होकर वन विभाग ने जांच के बृहद स्तर पर आदेश दिए हैं। मंगलवार को अमेठी के गौरीगंज में एक संयुक्त छापे मारी करते हुये एसटीएफ लखनऊ की टीम ने चतुरीपुर मऊ गांव में एक तस्कर के घर से 115 बोरे भरे 4.4 टन जिन्दा कछुओं को बरामद किया। जिसको न्यायालय से आदेश प्राप्त कर नदियों में छोड़ने के निर्देश दिए गये हैं साथ ही पकड़े गए कछुआ तस्करों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाही करने को भी कहा है।
बरामद कछुओं की कीमत करोड़ों में बताते हुए एसटीएफ ने इसे देश की सबसे बड़ी कछुओं की बरामदगी बताया है। खुद प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विभागाध्यक्ष) डा. रूपक डे भी हजारो की संख्या में कछुए बरामद होने की सूचना पाकर मौके पर पहुच गये और साथ ही वन प्राणी तस्करों पर प्रभावी रोक लगाने के निर्देश सहित गहराई तक जांच के आदेश दिया।
बता दें कि विगत माह में भी अमेठी के पीपरपुर थाना क्षेत्र में कछुए से लदा पिकअप वाहन पलटने से 525 कछुए के साथ एक पिकअप पुलिस के हत्थे चढ़ गया जबकि तस्कर मौके से फरार हो गए। वन विभाग ने 525 कछुओं की कीमत छह लाख रुपये के लगभग बताई थी। इस पर अज्ञात के विरुद्ध वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करवाकर कछुओं को नदी में छोड़ दिया गया।
इस तरह कछुआ तस्करी के कई मामले जनपद बिभिन्न थाने में प्रायः सुनने को मिलती है। जिस पर गम्भीरता से विचार करते हुए वन विभाग ने बृहद स्तर पर जांच के आदेश दिये।
चीनी ज्योतिष फेंगशुई में धन का प्रतीक बना कछुआ स़िर्फ धन की लालसा में ही नहीं, बल्कि ताक़त और स्वाद के कारण विलुप्ति की कगार पर है। सूत्रो की माने तो अमेठी में कस्बों से लेकर गावो तक तस्कर सक्रिय हैं। इस काम में महिलाओं एवं बच्चों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। प्राकृतिक आवास की कमी के कारण लगातार प्रजनन के संकट के चलते दुर्लभ श्रेणी में आ चुके कछुओं को यदि समय रहते संरक्षित नहीं किया गया तो नदियों एवं तालाबों का जल पीने लायक नहीं रह जाएगा ।
रिपोर्ट- @राम मिश्रा