अमेठी: जब-जब अपराध बढ़ता है, तब-तब अंगुलियां पुलिस पर उठती है सच में अगर देखा जाय, तो पुलिस अपनी आदत और पूर्व से चली आ रही परिपाटियों की वजह से बदनाम होती जा रही है जो भी हो। पुलिस महकमा कभी अपनी छवि नहीं बदल पाएगा, क्योंकि कुछ दाग ऐसे होते हैं जो अच्छे लगते हैं।
सामाजिक समरसता, शांति, कानूनराज कायम करने अपराध व अपराधियों पर अंकुश लगाकर नागरिकों को सुरक्षा का अहसास कराने में पुलिस की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। पुलिस की कार्यशैली का सीधा प्रभाव सरकार की छवि पर पड़ता है, चुनाव के समय पुलिस की कार्यशैली ही चुनावी मुद्दा बनती है। अगर पुलिस न्यायप्रिय अपराध नाशक होती है तो रामराज्य की कल्पना साकार होने लगती है। पुलिस जब राग द्वेष से ग्रस्त होकर स्वार्थ में कार्य करती है तो खाकी वर्दी दागदार होने लगती है।
न अपराधों पर अंकुश न खुद पर नियंत्रण
अभी कल ही सेना में तैनात एक जवान राजेश तिवारी ने संग्रामपुर थाना पर आरोप लगाया कि संग्रामपुर थाना के संरक्षण पर गाँव के कुछ दबंग लोग उनका घर और जमीन कब्जा कर उनका समान भी उठा ले गये। जिसको लेकर जवान राजेश जिले के सभी अधिकारियो के पास गया और जब इस मामले को लेकर अमेठी पुलिस अधीक्षक पूनम से शिकायत करने पहुँचा। पहले तो दो घण्टे तक उससे कोई मुलाकात ही नही कराया गया।
जब मीडिया की दखल के बाद पुलिस अधीक्षक पूनम ने जवान से मुलाकात की लेकिन कोई ठोस आश्वासन नही दिया। इन मामलो को लेकर जब कुछ मीडिया कर्मियो द्वारा बात करने की कोशिश की गई तो अपना और अपने पुलिस वालों का आरोप छिपाने के लिये मामले को खत्म करने के लिये पूनम मीडिया कर्मियो से इस तरह उलझ गई कि दुबारा कैम्पस के अन्दर आने पर मुकदमा दर्ज कराने की धमकी भी दे डाली। लेकिन सवाल ये भी है कि अमेठी में अपने कार्य काल मे अपराधों पर अंकुश न लगा पाने वाली पुलिस अधीक्षक पूनम खुद पर भी नियंत्रण नही रख पायी।
हालांकि अब अमेठी से पुलिस अधीक्षक पूनम का स्थानान्तरण हो गया है लेकिन नावांगत पुलिस अधीक्षक से अमेठी की जनता एक फिर से अपराधमुक्त माहौल की आशा करेगी ।
तो स्वतः हो सकता है समाज की समस्याओं का निराकरण
चुनाव के बाद हुए सत्ता परिवर्तन के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि हर स्तर पर बदलाव परिलक्षित होगा बदलाव तो हर स्तर पर दिखाई देने लगा। लेकिन अमेठी पुलिस में कोई खास बदलाव नजर नहीं आ रहा है। योगी सरकार का असर हर तरफ दिख रहा है, लेकिन आज अमेठी में तो अपराधों में कमी नहीं आ पा रही है जो चिंता का विषय है। अब तक जो आंकड़े सामने आये हैं,उनसे स्पष्ट होता है कि पुलिस अपराधों पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है।
जब भी कोई नयी सरकार आती है, तब समाज विरोधी तत्व सरकार के रंग में रंगकर रंगबाजी या अपराधिक कार्यवाही करने लगते हैं। इसका सीधा असर सरकार पर पड़ता है और सरकार के साथ साथ पार्टी बदनाम होने लगती है और विरोधियों को विरोध करने का अवसर मिल जाता है। पुलिस अगर न्यायप्रिय हो जाय तो समाज की तमाम समस्याओं का निराकरण स्वत: हो जाय। क्योंकि पुलिस लोकतांत्रिक प्रणाली के सभी अंगों से जुड़ी होती है और उसका हस्तक्षेप होता है।
रिपोर्ट-@राम मिश्रा