भोपाल– राज्य के 14 शहरों में केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत सीवेज और जलप्रदाय के 1307 करोड़ रुपए के कामों को मंजूर दी गई। इस योजना में एक लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों को शामिल करने का प्रावधान है। मंत्रालय में मुख्य सचिव अंटोनी डिसा की अध्यक्षता वाली समिति ने 14 शहरों के लिए तैयार प्रस्तावों पर विचार किया और इसकी डीपीआर को मंजूरी दी है।
जलप्रदाय व्यवस्था के स्थाई इंतजामों के लिए अधोसंरचना तैयार करने जिन शहरों को योजना के इस चरण में शामिल किया गया है, उनमें सतना, रीवा, कटनी, सिंगरौली, खंडवा, गुना, मंदसौर, नीमच, होशंगाबाद, सीहोर, दतिया, बैतूल शामिल हैं, जबकि सीवेज सिस्टम में सुधार के लिए योजना में सागर, सतना, रीवा, सीहोर, दतिया और मुरैना को शामिल किया गया है।
इस योजना में केंद्र सरकार ने राज्य के 33 शहरों के अलावा धार्मिक शहर ओंकारेश्वर को भी शामिल करने की सहमति दी है। अमृत योजना में मंझोले शहरों में सीवेज और जलप्रदाय के कामों के अलावा शहरी परिवहन तथा हरित क्षेत्र विकास के काम भी कराए जाएंगे। नगरीय प्रशासन विभाग ने जल आपूर्ति के लिए 426 करोड़ रुपए की योजना तैयार की है, जबकि सीवेज सिस्टम के लिए 881 करोड़ रुपए खर्च करने की सहमति समिति ने दी है।
योजना का मुख्य उद्देश्य मंझोले शहरों में पानी और सीवेज के बुनियादी इंतजाम करना है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष केंद्र सरकार ने शहरी विकास के लिए तीन योजनाओं का ऐलान किया था, उनमें एक अमृत योजना (अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफर्मेशन) भी शामिल है। इसके बाद मप्र सरकार ने वार्षिक एक्शन प्लान के तहत इन शहरों में काम का खाका केंद्र से मंजूर कराया था। इसे सोमवार को यहां साधिकार समिति ने मंजूरी दी, इससे मार्च महीने से इन शहरों में टेंडर की प्रक्रिया शुरू होगी।
तीन साल में काम पूरा करने का लक्ष्य
सूत्र बताते हैं कि बैठक के दौरान मुख्य सचिव डिसा ने कहा कि इस योजना में जलप्रदाय के सभी काम 2019 तक पूरे करने का लक्ष्य है और तय अवधि में यह काम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस काम में किसी तरह की गडबड़ी नहीं हो, यह देखना नगरीय प्रशासन विभाग का काम है। खासतौर पर पाइपलाइन बदलने संबंधी काम में सावधानी बरती जाना चाहिए, क्योंकि पहले भी इस तरह के काम में गड़बड़ी के मामले सामने आए हैं।