अमृतसर ट्रेन हादसे को लेकर ट्रेन के ड्राइवर ने अरविंद कुमार ने बयान दिया था कि घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने ट्रेन पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था। लेकिन ड्राइवर के इस बयान का स्थानीय लोगों ने रविवार को विरोध किया है।
पुलिस और रेलवे अधिकारियों को दिए एक बयान में ट्रेन के चालक ने कहा, उसे ग्रीन सिग्नल मिला था इसलिए ट्रेन की स्पीड सामान्य रखी। जब लोगों की भीड़ को पटरी पर देखा तो स्पीड कम करने की कोशिश की, लेकिन तब तक हादसा हो चुका था।
हालांकि ट्रेन की स्पीड कम भी हो गई थी और ट्रेन रुकने वाली थी तभी लोगों ने पत्थरबाजी करनी शुरू कर दी।
ट्रेन ड्राइवर ने कहा कि ट्रेन नहीं रोकी क्योंकि दुर्घटनास्थल पर भीड़ ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था। 19 अक्टूबर को रावण दहन के दौरान एक ट्रेन की चपेट में आने से 61 लोगों की मौत हो गई थी।
अमृतसर में वार्ड नंबर 46 के पार्षद शैलेन्द्र सिंह शली ने बताया, ‘मैं घटनास्थल पर था, ट्रेन रोकने की बात तो छोड़ दीजिए इसकी स्पीड भी कम नहीं हुई। ऐसा लगा कि अगर चालक चाहता तो हमें भी कुचल देता। ट्रेन कुछ क्षण में हमारे पास से गुजर गई।’
उन्होंने कहा, ‘क्या ऐसे में हमारे लिए तार्किक रूप से ट्रेन पर पत्थर फेंकना संभव है जब हमारे आसपास मृत और घायल लोग पड़े हों?
क्या ऐसी घटना के बाद हमारे लिए ऐसा आचरण कर पाना और तेज रफ्तार में जा रही एक ट्रेन पर पत्थर फेंकना संभव है? चालक झूठ बोल रहा है।’