अमृतसर : अमृतसर में दशहरा के दिन एक ट्रेन हादसे ने खुशी के पल को पूरी तरह से मातम में बदल दिया।
अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास दशहरे के दिन रावण दहन देखने के दौरान हुए अमृतसर ट्रेन हादसे में 61 लोगों की जान चली गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गये, मगर आश्चर्य है कि इस बड़ी त्रासदी की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है।
राज्य सरकार से लेकर रेलवे तक हर कोई इस घटना से पल्ला झाड़ने में लगा है। पुलिस कभी आयोजकों को जिम्मेदार मान रही है तो कभी आयोजक पुलिस को।
हालांकि, सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने न्यायिक जांज के आदेश दे दिए हैं, जिसकी रिपोर्ट चार हफ्ते में मिल जाएगी। तो चलिए जानते हैं कि कौन क्या कह कर इस पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश में है।
रेलवे ने झाड़ा पल्ला
अमृतसर ट्रेन हादसा ट्रेन से लोगों के कूचले जाने से हुआ। मगर तब भी रेलवे का कहना है कि इस पूरे मामले से उसका कोई लेना देना नहीं है। रेलवे का कहना है कि न तो वह इसकी जांच करवाएगा और न ही रेलवे की कोई गलती है।
दलील
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी कहा, ‘आयोग रेल दुर्घटनाओं की जांच करता है। यह एक ऐसा हादसा था जिसमें लोगों ने रेल पटरी पर अनधिकृत प्रवेश किया और यह कोई दुर्घटना नहीं थी।’
रेलवे ने यह भी कहा कि ट्रेन चालक के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी जिसने ट्रेन की गति 91 किलोमीटर प्रतिघंटे से कम करके 68 किलोमीटर प्रति घंटे कर दी थी।
रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने शनिवार को कहा कि रेलवे की तरफ से कोई लापरवाही नहीं थी। चालक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। सिन्हा ने इसके साथ ही लोगों को भविष्य में रेल पटरियों के पास ऐसा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं करने की सलाह दी।
उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि यदि ऐहतियात बरती गई होती तो दुर्घटना टाली जा सकती थी।’
पुलिस-प्रशासन ने झाड़ा पल्ला
दरअसल, इस पूरे मामले में पुलिस और आयोजकों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। पहले पुलिस यह कह रही थी कि आयोजकों ने कार्यक्रम की अनुमति नहीं ली थी।
मगर बाद में पुलिस ने स्वीकार किया कि उसने आयोजकों को अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया था लेकिन कहा कि कार्यक्रम के लिये नगर निगम की भी मंजूरी की जरूरत थी।
आयोजकों ने झाड़ा पल्ला
वहीं, आयोजकों का कहना है कि उसने कार्यक्रम की अनुमति ली थी, मगर पुलिस ने पर्याप्त सुरक्षा की व्यवस्था नहीं की। सामने आए एक खत से संकेत मिले हैं कि आयोजकों यानी कि स्थानीय कांग्रेस पार्षद के परिवार ने कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा इंतजाम की भी मांग की थी
जहां पंजाब के मंत्री नवजोत सिद्धु और उनकी पूर्व विधायक पत्नी नवजोत कौर सिद्धु के आने की उम्मीद थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने हालांकि शिकायत की कि जोड़ा फाटक के पास पटरियों के साथ लगे मैदान में लोगों की सुरक्षा के लिये इंतजाम पर्याप्त नहीं थे।
सरकार ने झाड़ा पल्ला
हालांकि, अमृतसर मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिये हैं। मगर इस जांच की रिपोर्ट के लिए सरकार ने 4 हफ्ते का समय दिया है।
यह जितनी बड़ी घटना थी, इसे लेकर त्वरित कार्रवाई और जांच की जरूरत थी। दरअसल, सवाल यह भी उठ रहे हैं कि आखिर घटना की सूचना मिलने के बाद भी चंडीगढ़ से अमृतसर की यात्रा करने में मुख्यमंत्री कैप्टन अमिरिंदर सिंह को इतना समय क्यों लगा।
साथ ही सवाल यह भी उठ रहे हैं कि कांग्रेस नेता नवजोत कौर सिद्धू जब कार्यक्रम स्थल पर थीं, तो उन्होंने लोगों से ट्रैक पर से हटने की अपील क्यों नहीं की।