नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान एएन-32 में सवार वायुसैनिकों के शव बरामद करने गए बचावकर्मी अपनी जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे हैं। 12 बचावकर्मियों की टीम अभी अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले के दुर्गम पर्वतीय इलाके में फंसी है जहां विमान क्रैश हुआ था। यहां लगातार हो रही बारिश, जहरीले सांपों और कीड़े-मकोड़ों का सामना कर रहे बचावकर्मियों को 17 दिनों बाद भी वापस नहीं लाया जा सका है।
इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के क्रैश हुए ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एएन-32 में कोई भी जिंदा नहीं बचा था। काफी मशक्कत के बाद बचाव दल ने 13 वायुसैनिकों के शवों को बरामद किया था। बचाव टीम ने क्रैश विमान के ब्लैक बॉक्स को भी बरामद कर लिया था। तीन जून को असम के जोरहाट से एएन-32 ने अरुणाचल के मेचुका के लिए उड़ान भरी थी। दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर एयरक्राफ्ट ने टेक ऑफ किया था और एक बजे रडार से इसका संपर्क टूट गया था।
लापता विमान एन-32 की तलाश के लिए वायुसेना ने ऑपरेशन तलाश चलाया था। आठ दिनों तक चले सर्च ऑपरेशन के बाद 11 जून को विमान का मलबा अरुणाचल के वेस्ट सियांग में आने वाले नॉर्थ लिपो में मिला था। फिर 12 सदस्यीय बचाव दल को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया था। अब बचाव दल के इन 12 कर्मियों को एयरलिफ्ट करने के लिए अब मौसम सुधरने का इंतजार किया जा रहा है।
इन बचाव दल में 9 वायु सैन्यकर्मी, एक एवरेस्टर और दो लोकल हंटर शामिल हैं। फंसे हुए बचावकर्मियों के पास केवल एक सैटेलाइट फोन काम कर रहा है। फिलहाल ये टीम 12 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी पर मौजूद है। जबकि लगातार बारिश के कारण इनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सियांग जिले के जनसंपर्क अधिकारी जीजुम ताली ने बताया कि एक्स्ट्रा बैटरी वाला एक मोबाइल फोन अभी भी काम कर रहा है लेकिन वहां मुश्किल से ही सिग्नल आ रहे हैं। उनके पास राशन भी खत्म हो रहा है। वहीं, खराब मौसम ने पहाड़ों से खुद उतरना भी खतरे से खाली नहीं है।