मध्यप्रदेश के खेल और युवा कल्याण मंत्री जीतू पटवारी ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार कुपोषण के कलंक को मिटाना चाहती है। लेकिन सूबे के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को अंडे परोसने के विचाराधीन प्रस्ताव को फैसले के रूप में जबरन नहीं थोपा जायेगा।
पटवारी ने यहां संवाददाताओं से कहा, “यह आवश्यक नहीं है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिये अंडे खाना अनिवार्य किया जाये। आवश्यक यह है कि हम नौनिहालों को कुपोषण की स्थिति से बाहर कैसे निकालें।”
उन्होंने कहा, “हमारी सरकार की कतई मंशा नहीं है कि जोर-जबर्दस्ती से किसी व्यक्ति को कोई खास आहार लेने पर मजबूर किया जाये। आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चे किस तरह का आहार लेंगे, इस सिलसिले में उनके माता-पिता की सहमति का भी ध्यान रखा जायेगा।”
पटवारी ने कहा, “खासकर ग्वालियर-चम्बल संभाग के बच्चों में कुपोषण की स्थिति मध्यप्रदेश के माथे पर एक कलंक है। हमारी मूल भावना इस कलंक को मिटाने की है।’’
गौरतलब है कि सूबे का महिला एवं बाल कल्याण विभाग आंगनबाड़ी केंद्रों में अंडा परोसने पर विचार कर रहा है। वैसे अभी इस बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। लेकिन सूबे के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के नेताओं ने इस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया है कि कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार लोगों की धार्मिक आस्था से खिलवाड़ कर रही है।
भाजपा नेताओं पर पलटवार करते हुए खेल और युवा कल्याण मंत्री ने कहा, “देश में हर व्यक्ति को अपनी मर्जी का पदार्थ खाने-पीने का अधिकार है। लेकिन भाजपा का अपना अलग विचार चलता रहता है कि लोग क्या खाएं, क्या पहनें और कब उठें-बैठें। वे (भाजपा नेता) लोगों को यह भी बताते रहते हैं कि उन्हें वंदे मातरम तथा जय श्रीराम कब बोलना है और कब नहीं बोलना है।”
पटवारी ने कहा कि मॉनसून की भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित अन्य राज्यों को तो केंद्र सरकार के खजाने से मदद दे दी गयी है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में मध्यप्रदेश के साथ “सौतेला बर्ताव” कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “केंद्र के इस सौतेले बर्ताव पर पूर्व मुख्यमंत्री (शिवराज सिंह चौहान) जैसे भाजपा नेताओं को सांप क्यों सूंघ गया है जो खुद को सूबे के किसानों का भगवान बताते फिरते हैं।”
उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्रदेश सरकार की कर्ज माफी योजना के दायरे में आने वाले सभी किसानों का ऋण इस साल के अंत तक माफ कर दिया जायेगा।