इंदौर : केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री अनिल माधव दवे की मौत की न्यायिक जांच के लिए एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में दायर की थी जिसकी आज सुनवाई पूरी हो गई सवा घंटे चली बहस के बाद ऑर्डर सुरक्षित रख लिया गया हैं इसमें दावा किया है कि अंतिम संस्कार के वक्त उनके चेहरे को ढंकने के लिए चश्मा लगाया गया था।
चेहरे पर कोई केमिकल भी पुता था।साथ ही पोस्टमॉर्टम भी नहीं कराया। निधन के बाद अचानक उनकी वसीयत सामने आना भी शंका को जन्म देता है। वसीयत भी सादे कागज पर थी जबकि इसे रजिस्टर्ड दस्तावेज पर होना चाहिए।
दवे के कॉलेज के समय के मित्र डॉ तपन भट्टाचार्य ने यह जनहित याचिका दायर की है। इसमें उन्होंंने दवे के निधन के बाद निर्मित हुई स्थितियों का उल्लेख किया है। याचिका में लिखा है कि दवे निधन से ठीक पहले वह इंदौर के प्रोग्राम में शामिल हुए और अगले दिन कोयंबतूर जाना था। केंद्रीय मंत्री रहते उन पर सरसों की हाई ब्रिड जी.17 बीज को भारत में उगाने की मंजूरी देने का भी बहुत दबाव था।
वरिष्ठ अधिवक्ता आंनद मोहन माथुर के अनुसार विदेश की मल्टीनेशनल कंपनी इसके लिए प्रयास कर रही थीं। इस मसले पर उन्होंने खुद को बहुत तनाव में होने की बात भी एक अखबार में कही थी।इन सब कारणों को देखते हुए उनकी मौत और उसके बाद परिस्थितियां शंका को उत्पन्न कर रही हैं।