पीएम मोदी ने कहा ‘ इंटेंट, इंक्लूजन, इन्वेस्टमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और इनोवेशन- ये पांच चीजें भारत के विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण हैं और इसे ‘आत्मनिर्भर’ बनाना है, हाल ही में हमारे द्वारा लिए गए साहसिक फैसलों में आपको इनकी झलक मिलेगी।’
नई दिल्ली: सीआईआई की स्थापना के 125 साल आज पूरे हो गए। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिरकत की। इस मौके पर पीएम मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के साथ ही उद्योग जगत का भरोसा जीतने का प्रयास किया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में ऐसे 5 आई पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा ‘ इंटेंट, इंक्लूजन, इन्वेस्टमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और इनोवेशन- ये पांच चीजें भारत के विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण हैं और इसे ‘आत्मनिर्भर’ बनाना है, हाल ही में हमारे द्वारा लिए गए साहसिक फैसलों में आपको इनकी झलक मिलेगी।’
भारत ने सही समय पर सही कदम उठाए: आज देश की सबसे बड़ी सच्चाई यही है कि भारत लॉकडाउन को पीछे छोड़ अनलॉक फेज 1 में प्रवेश कर चुका है। अर्थव्यवस्था का काफी हिस्सा खुल चुका है। आठ जून के बाद और भी खुलेगा। जब दुनिया में कोरोना वायरस पैर पसार रहा था, तभी भारत ने सही समय पर सही तरीके से सही कदम उठाए। दुनिया के तमाम देशों से तुलना करें तो आज हमें पता चलता है कि भारत में लॉकडाउन का कितना प्रभाव पड़ा है। भारत ने कोरोना से लड़ने के लिए फिजिकल रिसोर्स को तैयार किया।
विकास के लिए पांच बातें जरूरी: भारत को तेज विकास के पथ पर लाने के लिए पांच बातें बहुत जरूरी हैं – इंटेंट, इंक्लूजन, इंफ्रास्ट्रक्चर, इन्वेस्टमेंट और इनोवेशन। हाल में कई फैसले लिए गए हैं। इसमें इनकी झलक दिख जाएगी। भारत बड़ी उड़ान के लिए तैयार है। हमारे लिए सुधार का मतलब है, फैसले लेने का साहस करना।
पटरी पर जरूर लौटेगी अर्थव्यवस्था: कोरोना संकट में लोगों के जीवन को बचाने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में भी गति लाना है। अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत करना सबसे जरूरी है। भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर जरूर लौटेगी। इसके लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है।
गरीबों, श्रमिकों, महिलाओं को सरकारी योजनाओं से मिला लाभ: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से गरीबों को तुरंत लाभ मिला। 74 करोड़ लोगों के घर तक राशन पहुंचाया गया। गरीब परिवारों को 53,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की वित्तीय मदद की जा चुकी है। महिलाओं, दिव्यांगों, बुजुर्गों, श्रमिकों को इससे लाभ मिला है। लॉकडाउन के दौरान सरकार ने गरीबों को आठ करोड़ से ज्यादा गैस सिलिंडर उनके घरों तक मुफ्त में पहुंचाए हैं। निजी क्षेत्र के करीब 50 लाख कर्मचारियों के खाते में 24 फीसदी ईपीएफ का योगदान किया गया है।
बिना किसी चिंता के विकास कर पाएंगे एमएसएमई: सरकार जिस दिशा में बढ़ रही है, उससे हमारे माइनिंग सेक्टर, एनर्जी सेक्टर या रिसर्च और टेक्नोलॉजी, हर क्षेत्र में इंडस्ट्री और युवा के लिए नए अवसर खुलेंगे। एमएसएमई की परिभाषा स्पष्ट करने की मांग लंबे समय से उद्योग जगत कर रहा था, वो पूरी हो चुकी है। इससे एमएसएमई बिना किसी चिंता के विकास कर पाएंगे और उनको एमएसएमई का स्टेट्स बनाए रखने के लिए दूसरे रास्तों पर चलने की जरूरत नहीं रहेगी।
विश्वसनीय साथी की तलाश में है विश्व: स्वभाविक है कि इस समय नए सिरे से मंथन चल रहा है और ऐसे समय में भारत से दुनिया की अपेक्षा और बढ़ी है। आज दुनिया का भारत पर विश्वास भी बढ़ा है और नई आशा का संचार भी हुआ है। विश्व एक विश्वसनीय साथी की तलाश में है। भारत में क्षमता और ताकत है। आज पूरे विश्व में भारत के प्रति जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आप सभी को पूरा फायदा उठाना चाहिए।
तीन महीने खड़ी की पीपीई की सैकड़ों करोड़ की इंडस्ट्री: अब जरूरत है कि देश में ऐसे उत्पाद बनें जो ‘मेड इन इंडिया’ हों, ‘मेड फॉर वर्ल्ड’ हों। कैसे हम देश का आयात कम से कम करें, इसे लेकर क्या नए लक्ष्य तय किए जा सकते हैं? हमें तमाम सेक्टर्स में उत्पादन बढ़ाने के लिए अपने टार्गेट तय करने ही होंगे। मैं बहुत गर्व से कहूंगा कि सिर्फ तीन महीने के भीतर ही पीपीई की सैकड़ों करोड़ की इंडस्ट्री आपने ही खड़ी की है।
किसानों के साथ साझेदारी का रास्ता खुला: ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निवेश और किसानों के साथ साझेदारी का रास्ता खुलने का भी पूरा लाभ उठाएं। अब तो गांव के पास ही लोकल एग्रो प्रोडक्ट्स के क्लस्टर्स के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। इसमें सीआईआई के तमाम सदस्यों के लिए बहुत अवसर हैं।
देश को आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प लें: ‘गेटिंग ग्रोथ बैक’ इतना मुश्किल भी नहीं है और सबसे बड़ी बात कि अब आपके पास, भारतीय इंडस्ट्री के पास, एक साफ रास्ता है, आत्मनिर्भर भारत का रास्ता। देश को आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प लें।
सरकार उठा रही है कई कदम: सरकार आज ऐसे पॉलिसी रिफॉर्म भी कर रही है जिनकी देश ने उम्मीद भी छोड़ दी थी। अगर मैं कृषि क्षेत्र की बात करूं तो हमारे यहां आजादी के बाद जो नियम-कायदे बने, उसमें किसानों को बिचौलियों के हाथों में छोड़ दिया गया था।