महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार के लिए राहत की खबर है। सिंचाई घोटाले के मामले में आरोपी पवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने क्लीन चिट दे दी है।
बॉम्बे हाई कोर्ट में 27 नवंबर को दायर किए गए एफिडेविट में एसीबी ने कहा है कि अजित पवार को निष्पादन एजेंसियों के भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि उनका कोई कानूनी कर्तव्य नहीं था।’
बता दें कि महाराष्ट्र में सियासी घमासान के बीच अचानक एसीबी ने सिंचाई घोटाले से जुड़े कुछ मामले बंद कर दिए थे। इसे लेकर कई तरह की अटकलें शुरू हो गई थीं। हालांकि बाद में एसीबी ने इस पर खुद सफाई दी थी।
एसीबी के डीजी परमबीर सिंह ने कहा था, ‘हम सिंचाई घोटाले से जुड़े 3 हजार टेंडरों को लेकर हुई शिकायतों की जांच कर रहे हैं। ये रोजमर्रा की जांच है जो बंद हुई है। जिन मामलों में पहले से जांच चल रही है, वे आगे भी जारी रहेंगी।’
एसीबी ने इस केस में कुछ सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया था। अजित पवार पर ऐसे आरोप थे कि उन्होंने सिंचाई से जुड़े हर तरह के प्रॉजेक्ट्स और उनके बढ़ते हुए बजट को मंजूरी दी थी।
इसी के चलते वह शक के दायरे में आ गए थे। सिंचाई घोटाले के अलावा अजित पवार महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में भी आरोपी हैं।
इस मामले में हाल ही में अजित पवार से एसीबी ने पूछताछ भी की थी। गौरतलब है कि वर्ष 2012 में यह घोटाला सामने आया था।
इसमें आरोप लगा था कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के शासनकाल के दौरान 1999-2000 में 35 हजार करोड़ करोड़ रुपये की अनियमिततताएं सामने आईं थीं।