इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में एक बड़ा फैसला लिया है। सूत्रों के हवाले से दी गई रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान अपने आर्मी एक्ट में संशोधन करने जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो जाधव को अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ सिविल कोर्ट में अपील करने का अधिकार प्राप्त हो जाएगा।
क्या है मामला
पाकिस्तान ने मार्च 2016 में जासूसी के आरोप में भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद से वह भारतीय अधिकारियों को उनसे मिलने नहीं दे रहा था। इसके बाद पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में जाधव को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा सुना दी।
भारत ने इसका विरोध किया और मामले को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में उठाया। जहां सुनवाई के बाद भारत की जीत हुई और जाधव की फांसी की सजा पर रोक बरकरार रखने और उन्हें राजनयिक पहुंच देने का निर्देश दिया गया।
इससे पहले पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के अध्यक्ष जज अब्दुलकवी युसूफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को बताया था कि पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव मामले में वियना संधि के तहत पाकिस्तान अपने दायित्वों का उल्लंघन किया है। उन्होंने 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के सामने आईसीजे की रिपोर्ट पेश की थी।
युसूफ ने अपने 17 जुलाई को आए फैसले में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख न्यायिक अंग ने पाकिस्तान को 1963 की वियना संधि के नियम 36 के तहत अपने कर्तव्यों का उल्लंघन किया। उसने इस मामले में आवश्यक कदम नहीं उठाए। आईसीजे ने पाकिस्तान से कुलभूषण जाधव की मौत की सजा पर दोबारा विचार करने के लिए कहा।
युसूफ के नेतृत्व वाली पीठ ने अपने आदेश में पाकिस्तान को कुलभूषण सुधीर जाधव मामले में सजा की समीक्षा और पुनर्विचार करने का आदेश दिया था। जाधव मामले में यूएनजीए के समक्ष रिपोर्ट पेश करते हुए युसूफ ने कोर्ट के फैसले के कई पहलुओं को विस्तार से बताया था।
उन्होंने बताया कि अदालत को यह देखना था कि वियना संधि के नियम 36 के अनुसार राजनयिक पहुंच को लेकर कोई अधिकार है, क्या ऐसी परिस्थिति में जब किसी व्यक्ति पर जासूसी करने का शक हो तो उसे इन अधिकारों से वंचित किया जा सकता है? अदालत ने पाया कि वियना संधि में जासूसी के मामलों का कोई संदर्भ नहीं है।