अभिनय का पावर हाउस कही जाने वाली विद्या बालन ने भूमिकाओं के मामले में हमेशा से अलग राह चुनी। कुछ अरसे से बॉक्स ऑफिस पर उनकी फिल्में भले ही कमाल न दिखा सकी हों, मगर विद्या का अभिनय हमेशा कुंदन की तरह चमका है। इन दिनों वह चर्चा में हैं, अपनी ताजा-तरीन फिल्म ‘तुम्हारी सुलु’ से।
यौन शोषण हमेशा से होता रहा है। अंतर यह है कि आज लोग इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। पहले इन बातों को दबा दिया जाता था। आज यह अच्छी बात है कि हर लड़की सोचती है कि वह अकेली नहीं है। आज वह खुद को दोषी मानने के बजाय दोषी का पर्दाफाश करती हैं। मैं जिन दिनों लोकल ट्रेन से सफर किया करती थी, तब मुझे चेंबूर से वीटी जाना होता था और कॉलेज के उन दिनों में अक्सर मुझे कोई पिंच कर देता, कोई चिकोटी काट देता। मुझे बहुत गुस्सा आता और मैं चिल्ला कर हाथ उठा देती थी। मुझे लगता है ऐसे मामलों में चुप नहीं रहना चाहिए।
वैसे आज इंडस्ट्री में मुझे 12 साल हो गए हैं और मुझसे यहां ऐसी-वैसी हरकत करने की किसी की हिम्मत नहीं होती, मगर जब मैं कॉलेज में थी तो मैं भी छेड़खानी का शिकार हुई। मैं आपको एक वाकया बताती हूं। जब मैं कॉलेज में थी, एक आर्मी जवान वीटी स्टेशन पर खड़ा था और मेरी तरफ देखे जा रहा था। वह लगातार मेरे ब्रेस्ट को घूर रहा था और फिर उसने मेरी तरफ देखकर आंख मारी। गुस्से के मारे मेरे तन-बदन में आग लग गई, मैं उसके पास दनदनाती हुई गई और उससे जाकर कहा, ‘आप मेरी तरफ ऐसे क्या घूर रहे हैं? आपने मुझे देखकर आंख क्यों मारी ? आप हमारे देश के जवान हैं। देश की सुरक्षा का जिम्मा आपका है और आप मुझे आंख मार रहे हैं। ये क्या छिछोरापन है?’ मेरे साथ मेरी सहेली भी थी और वह लगातार मेरा हाथ खींचकर मुझे वहां से ले जाने की कोशिश कर रही थी, मगर मैं चुप नहीं रही।
मेरी फटकार पर आर्मी जवान बहुत ही शर्मिंदा हो गया। सेक्सुअल हैरासमेंट की परिभाषा बहुत ही वृहद है। यह कुछ भी हो सकता है। हाथ लगाना, अश्लील बातें करना या मॉलेस्ट करना ही यौन शोषण नहीं होता, कई बार लोग आंखों ही आंखों में आपका बलात्कार कर देते हैं।