ढाका – दो दिवसीय दौरे के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार सुबह करीब 10 बजे बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंचे। उन्हें एयरपोर्ट पर रिसीव करने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना खुद पहुंचीं। एयरपोर्ट पर ही पीएम मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
बांग्लादेश रवाना होने से ठीक पहले सुबह करीब साढ़े सात बजे हुए मोदी ने ट्वीट किया, ‘बांग्लादेश जा रहा हूं। यह यात्रा हमारे देशों के बीच जुड़ाव को और अधिक मजबूत करेगी तथा हमारे देशों और क्षेत्र के लिए लाभकारी होगी।’
मोदी की यात्रा के दौरान 41 साल से पेंडिंग जमीनी सीमा समझौते को अंतिम रूप दिया जाएगा। एक से दूसरे देश में आवागमन आसान बनाने के लिए दो नए रूट पर बस सेवाओं को हरी झंडी दी जाएगी। ये रूट कोलकाता-ढाका-अगरतला और ढाका-गुवाहाटी-शिलॉन्ग के हैं। इस दौरान मोदी के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद रहेंगी।
इस दौरे में दक्षिण एशिया के चार देशों (बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल) को सड़क के रास्ते जोड़ने पर भी बातचीत होगी। इस रास्ते से चारों देश अपने उत्पादों का आयात-निर्यात ट्रकों के जरिये कर सकेंगे। BBIN नाम के इस ग्रुप में पाकिस्तान को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि उसने पिछले साल सार्क शिखर बैठक के दौरान कनेक्टिविटी समझौते पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया था।
अपनी बांग्लादेश यात्रा से पहले मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाने के लिए हसीना की सराहना भी की। बांग्लादेश और भारत की करीब 4096 किमी लंबी सीमा एक-दूसरे से लगी हुई है और इसका ज्यादातर हिस्सा पोरस है, जो अरक्षित है।
समझा जाता है कि दोनों ही देश सुरक्षा को बढ़ाने, खास कर पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों को पड़ोसी देश में शरण लेने से रोकने के उपाय तलाशने पर विचार करेंगे। बीते माह के शुरू में संसद ने ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक पारित किया था, जिसका मकसद बांग्लादेश के साथ 41 साल से चल रहे सीमा मुद्दे का हल करना है।
यह विधेयक वर्ष 1947 के भारत-बांग्लादेश सीमा समझौते को लागू करने की राह प्रशस्त करेगा, जिसमें दोनों देशों के बीच 161 बस्तियों (एन्क्लेव) का आदान-प्रदान शामिल है। विदेश सचिव एस जयशंकर ने शुक्रवार को मोदी की ढाका यात्रा को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया और भूमि सीमा समझौते को मंजूरी को एक बड़ी उपलब्धि बताया था।
इस दौरे में रेल, सड़क और जल संपर्क को बढ़ाना और आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी और इन क्षेत्रों में कई समझौते किए जाने की उम्मीद है। दोनों देश रेल संपर्क मजबूत करना चाहते हैं। खासकर उस रेलवे लिंक को जो 1965 के पहले तक वजूद में था। वे भारत से छोटे जहाजों के बांग्लादेश में विभिन्न बंदरगाहों तक आने जाने का रास्ता खोलने के लिए एक तटीय जहाजरानी समझौता भी करेंगे। भारत बांग्लादेश में बंदरगाह बनाने के लिए भारतीय कंपनियों की भागीदारी के लिए बातचीत करेगा। इसके अलावा बांग्लादेश को डीजल की आपूर्ति करने के लिए एक समझौते को भी अंतिम रूप देकर उस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
भारत पहले ही घोषणा कर चुका है कि इस यात्रा के दौरान बांग्लादेश के साथ लंबित तीस्ता जल बंटवारा समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होगा। हालांकि, जलमार्गों और अन्य नदियों के जल के बंटवारे संबंधी मुद्दे पर वार्ता हो सकती है। सितंबर 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान तीस्ता समझौता किया जाना था, लेकिन ममता बनर्जी के एतराज के बाद अंतिम समय में इसे टाल दिया गया। बनर्जी उस वक्त प्रधानमंत्री के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं बनीं थीं।
तीस्ता जल बांग्लादेश के लिए महत्वपूर्ण है खासकर दिसंबर से मार्च की अवधि के दौरान जब जल प्रवाह अस्थायी रूप से 5000 क्यूसेक से घटकर मात्र 1,000 क्यूसेक रह जाता है। ढाका में प्रधानमंत्री राष्ट्रपति अब्दुल हामिद और विपक्ष के नेता रौशन इरशाद तथा पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया सहित नामी गिरामी राजनीतिक शख्सियतों से भी मुलाकात करेंगे।