‘‘तन जितना चलता रहे उतना ही स्वस्थ रहता है, मन जितना स्थिर रहे उतना ही स्वस्थ रहता है, वन जितना पृथ्वी पर रहे उतनी ही धरा स्वस्थ रहती है‘‘ चंदन जैसा बन नही सकते जो चन्दन का वृ़क्ष तो लगा सकते है। चन्दन और गन्ने में फूल नहीं लगते लेकिन सुगन्ध और मीठास तो परमात्मा ने इनमें दी है। महान सन्त कबीर साहब ने एक पद में गाया कि ‘‘ चन्दन संग किन्हे तरूवर बिगडे, सो तरूवर चन्दन होए निबरे, गंगा संग किन्हे सरिता बिगडी सो सरिता गंगा होए निबरी, साधु संग किन्हे कबीरा बिगडा सो कबीर साधु होए निबरा यानि चन्दन, गंगा और साधु सा नही बन सकते लेकिन इनका संग करने से मनुष्य में उनके गुण प्रवेश ही कर जाते है। जैसे चन्दन के आस पास के वृक्षों में भी उसकी खुशबु आ ही जाती है। अक्सर बाजारो में बिकने वाला चन्दन असली चन्दन न होकर यह आस-पास के वृक्ष ही खुशबु के कारण चन्दन के मंहगे मूल्य पर बिक रहे है। इतिहास साक्षी है कि चन्दन के आस-पास वाले वृक्षों की लकड़ी भी चन्दन के मूल्य पर बिक रही है। अब बात करते है उन नदियों, नालों की जो मां गंगा में गिरते है अथवा मिलते है।
जब वे गंगा में मिले तो वे गंगा ही बन गए। गंगाजल के बारे में तो कहा जाता है कि यदि मदिरा भी गंगा में मिला दी जाए तो साधु लोग गंगाजल समझ कर उसका आचमन करते है, परन्तु यदि शराब की बोतल में गंगाजल मिला दिया जाए तब उसको कोई आचमन तो दूर छूना भी पसन्द नही करता है। चन्दन और गंगा की प्रभुता, व्यापकता के कारण ही संग करने और मिलने मात्र से वे योग्य हो जाते है।
अब बात कबीर साहब ने अपनी करते हुए कहा कि मुझे साधुओं का संग मात्र करने से लोग साधु समान ही मानते है। वृक्ष धरा का आभूषण है क्योंकि वह आक्सीजन का श्रोत है। फल देता है, प्राणवायु सहित फूल देता है, छाया देता है, आंधी व बरसात से लडकर हमारी रक्षा करता है और तो और जो दुष्ट व्यक्ति उसको काटने आता है उसके साथ भी जल से सिचने वाले व्यक्ति के समान ही व्यव्हार करता है। जब व्यक्ति धरा से बिदा होता है तो लकडियां तक हमें दे जाता है, जिससे घर का चूल्हा ही नहीं हमारा अन्तिम संस्कार तक होता है। वृक्ष पर पत्थर फेंकने वाले को फल-फूल देता है। यह महान गुण ईश्वर प्रदत्त उसको प्राप्त है।
विभिन्न कसौटियों पर खरा उतरने के बाद ही संसार ने उसको ऋषि, सौ पुत्रों के समान, धरा का आभूषण कहा है। मुझे लगता है यदि वृक्षों को काटकर बाबा केदारनाथ पर रहने के लिए मकान व बाजार के लिए दुकाने न बनाई गई होती तो त्रादशी इतनी भयानक न होती। एक वृक्ष सौ पुत्रों के समान, सन्त के समान क्यों कहा गया।
एक बात तो और कथानक के रूप में सुनने में आयी एक साधु बता रहे थे जो त्रिकालदर्शी थे पृथ्वी पर जब पाप बहुत बढ गया तो भगवान के अवतार लेने से पूर्व आसमान ने कहा कि मैं ही पृथ्वी गिरकर पापियों को समाप्त कर देता हूॅ जैसे ही आसमान निचे की ओर आया उसने देखा वृक्ष भी तो पृथ्वी पर लगे है, वृक्षों के महान गुणों को देखकर आसमान रूक गया और आज वहीं पर ठहरा हुआ है उसने कहा देवताओं मैं वृक्षों के रहते तुम्हारी कोई सहायता पृथ्वी पर नही कर सकता। पापियों को मारने में वृक्षों की छति मैं नहीं कर सकता।
तब परमात्मा को अवतार लेकर पृथ्वी की रक्षा करनी पड़ी। पूज्य गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिख दिया कि प्रभु ने विप्र धेनु सुर संत हित लीन अनुज अवतार। वृक्ष संत है। हम सब मिलकर वृक्षारोपण करे। उ0प्र0 के मुख्यमंत्री ने लखनऊ के कुकरैल में वृक्षारोपण कर जनता जनार्दन से अधिक से अधिक वृक्ष लंगाने की अपील भी की है। बरसात का मौसम है धरती मे नमी है तो आओ सब मिलकर पेड़ लगाएं। भाजपा के महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने पार्टी द्वारा हर वार्ड, हर मण्डल जिला, प्रदेश में कार्यकर्ता, नेता अधिकाअधिक वृक्षारोपण करें इसके लिए रोडमैप तैयार किया गया है।
कार्यकर्ताओं को अपने घर उसके आस-पास खाली जगहों पर, पार्का में, फूटपाथ पर, धर्मस्थलों, कालेजों, अस्पतालों में वृक्ष लगाने का बीड़ा उठाया है। वृक्षा रोपण इस अभियान में सर्वाधिक पौधारोपण वाले शीर्ष 10 जिलों को 25 मण्डलों के वृक्षारोपण अभियान प्रमुखों, 50 सेक्टरों को वृक्षारोपण प्रमुखों को तथा 100 बूथों के बूथ अध्यक्षों को सम्मानित करने का निर्णय भी लिया है। वृक्ष सबके हैं सब मिलकर वृक्ष लगाए कोई अपने पूर्वजों के नाम, माता-पिता के नाम, बेटा-बेटियों के नाम खुद के नाम पर वृक्ष लगाए। पेडों को लगाने के साथ-2 उनका संरक्षण भी बेहर जरूरी है। पर्यावरण युक्त, प्रदुषण मुक्त भारत बनाएं।
उ0प्र0 के मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गंगा माता के संरक्षण, उनकी स्वच्छता और निर्मलता के लिए वन महोत्सव के दौरान गंगा जी के किनारे स्थित 27 जनपदों में विशेष वृक्षारोपण अभियान संचालित किया जाएगा। 5 जुलाई, 2017 को वे स्वयं जनपद हापुड़ स्थित गढ़ मुक्तेश्वर में गंगा जी के तट पर विशेष वृक्षारोपण अभियान का शुभारम्भ करेंगे। उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य इलाहाबाद में गंगा जी के तट पर तथा अन्य मंत्रिगण, सांसद, विधायक अलग-अलग जनपदों में वृक्षारोपण कार्यक्रम में सहभागिता करेंगे। उन्होंने प्रदेशवासियों से भी इन कार्यक्रमों में अधिक से अधिक सहभागिता कर इन्हें सफल बनाने का आग्रह किया।
उन्हांेने कहा कि वन महोत्सव के दौरान पूरे प्रदेश में लगभग 6.55 करोड़ पौधों को रोपा जाएगा। इनमें से 4.3 करोड़ पौधे वन विभाग द्वारा तथा 2.24 करोड़ पौधे लोक निर्माण, सिंचाई, ग्राम्य विकास, शिक्षा आदि विभागों द्वारा रोपित किये जाएंगे।ऋषियों को पर्यावरण संरक्षण का महत्व पता था। इसीलिए पीपल, वट, तुलसी आदि देव वृक्ष कहे जाते हैं।
वन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री संजीव सरन ने कहा कि इस वर्ष वृक्षारोपण अभियान को जनआन्दोलन के रूप में चलाया जाएगा। अभियान में स्कूली बच्चों, किसानों, सैनिकों, व्यापार मण्डल आदि का सहयोग लिया जाएगा। वन महोत्सव के दौरान प्रभात फेरियां निकाली जाएंगी। 5 जुलाई, 2017 को लगभग 5 करोड़ स्कूली छात्रों को वृक्षारोपण तथा पर्यावरण संरक्षण के सम्बन्ध में शपथ दिलायी जाएगी। वृक्ष बचेगें तो धरा बचेगी तभी हम सभी पृथ्वीवासी सपरिवार आनन्द से रह सकेगें ।
उत्तर प्रदेश सरकार व उत्तर प्रदेश भाजपा के अभियान की तरह ही सबको आगे आकर दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर पुण्य प्राप्त करने के वृक्षारोपण अभियान का हिस्सा बनें। लेख के अंत में पूज्य गौस्वामी तुलसीदासजी कि पक्ति समर्पित ‘‘तुलसी बीरवा सीचत है तो भी मुरझाए, राम भरोसे जो रहे तो वन भी हरियाए‘‘।
लेखक: नरेन्द्र सिंह राणा
नरेन्द्र सिंह राणा
(प्रदेश प्रवक्ता)
भाजपा उत्तर प्रदेश