हाथ से किया हुआ दान और मुख से लिया प्रभु श्री राम का नाम कभी व्यर्थ नहीं जाता। हाथ होते हैं सेवा के लिए यदि देश सेवा में हाथ लगे तो वह कल्याणकारी प्रभावी वह प्रेरणादायक साबित होते हैं। लंबे हाथों की लंबी पकड़ होती है और वह अजानबाहू कहलाते हैं। अजानबाहू को बहुत-बहुत शुभ माना जाता है। भारत की मनीषा जब अपनी इस बात को प्रमाणित कर विश्व को संपूर्ण चराचर को समझा रही थी तब हमको लगता था यह एक शारीरिक बनावट तक है यानी हमारे यहां अजानबाहू उसको कहते हैं जिसके हाथ इतने लंबे हो कि वह घुटनों के नीचे तक जाते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम मानव अवतार में अजानबाहू कृष्ण कन्हैया अजानबाहू बाबा भीष्म व अश्वोत्थामा भी-घुटनों से लंबी भुजा वाले थे। महात्मा गांधी की भुजाएं लम्बी थी। प्राकृतिक रूप से यह दुर्लभ शरीर बिरलो को नसीब होता है संसार में हिंदू मुस्लिम हो इसाई हो कोई भी अजानबाहू हो बहुत शुभ होता है। श्री रामचरितमानस के रचयिता पूज्य गुरुदेव भगवान गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज भी अजानबाहू थे।
मुझे रामनाम (गुरुमुखी) नाम देने वाले ब्रह्मलीन गुरुदेव नारायणदास जी की अजानबाहू थे। उन की शोभा देखते ही बनती थी लंबी बुझाएं शेर जैसा पंजा था गुरुदेव का देवराह बाबा के चित्र को देखकर हम कह सकते हैं कि के भी अजानबाहू थे। खानपान बदलाव प्रकृति के साथ रहन-सहन छोड़ अब कंक्रीट की जगह में बदल गया है अतः हमारी शारीरिक बनावट पर बहुत बहुत असर पड़ा है शुद्धता की जगह हर चीज में मिलावट होने लगी इसके कारण स्वस्थ शरीर की जगह अस्वस्थ शरीर ने ले ली। बच्चे के गर्भ में आते ही अब दवाओं पर निर्भरता हो गई है। शुद्ध गाय का दूध पहले दिन भर किया जाता था। खेती गाय के गोबर से होती थी दालें शुद्ध, गेहूं चना संपूर्ण आहार शुद्ध होता था नहरे लबालब शुद्ध पानी से भरी चलती थी। आधुनिकता ने सारे किए धरे पर अशुद्धता का रेप कर दिया। खैर बदलाव पूरी दुनिया में हुआ तो यहां भी होना ही था। लंबे हाथ जहां शारीरिक होते हैं वही यह कहावत भी है कि भैया उनके हाथ बहुत लंबे हैं उनसे पंगा मत लेना यानी उनकी पहुंच व पकड़ बहुत है। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक मशीन की तरह काम करते हैं। उनका लोहा हर कोई मान रहा है। मोदी जी जब देश के प्रधानमंत्री बने तो सबको भरोसा हो गया कि वह जरूर बहुत कुछ अलग करेंगे और उन्होंने करके भी दिखाया। अब बात उनसे पूर्व यूपीए सरकार के 10 वर्ष के कार्यकाल पर करें तो देश फैलने की जगह सिकुड़ गया था।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जो ईमानदार छवि रखते थे उन्होंने देश को कहीं का नहीं छोड़ा। गली गली घर-घर भ्रष्टाचार की कहानी आम हो चली थी। विदेश में भारत की छवि एक नीरीह देश की बन गई थी। पाकिस्तान की फौज भारत की सेना के जवानों के सिर काटकर ले जाती थी और भारत की सेना कुछ नहीं कर पाती थी। देश की राजधानी दिल्ली में दिवाली पर बाजारों में सीरियल ब्लास्ट होते थे। सैकड़ों लोग मारे जाते रहे। मनमोहन सिंह ने भी 10 वर्ष लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया उनका संबोधन देश का मान घटाने वाला ही सिद्ध हुआ। आकाश, धरती, पाताल में घोटाले हुए। आकाश में 2जी घोटाला हुआ पाताल में कोयला घोटाला हुआ और जमीन पर आधार सोसाइटी घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाले जैसे सैकड़ों घोटाले हुए।
माननीय सुप्रीम कोर्ट को 10 वर्ष लगातार सरकार को कड़ी फटकार में लगानी पड़ी। स्वयं सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच हो यह आदेश भी सुप्रीमकोर्ट को देना पड़ा। मनमोहन सिंह अमेरिका जाते थे तो वह वहां एक डरा हुआ सहमा हुआ सा भाव रखते थे क्यों ना रखें जब उनके कैबिनेट नोट को राहुल गांधी फाड कर फेंक देते थे। वह कहते थे देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है। उनको आस्ट्रेलिया में पकड़े गए दो अल्पसंख्यक समुदाय के भाइयों के कारण रात भर नींद नहीं आई। बटाला हाउस एनकाउंटर पर सोनिया गांधी रो पड़ी यह बात तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री सलमान खुर्शीद ने देश को बताई। हमारे देश को जमकर लूटा गया। ए राजा, कनिमोझी ने जेल की हवा खाई। दिल्ली में जब सीरियल ब्लास्ट हो रहे थे तब भारत के तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल दिन में तीन तीन बार सूट बदलकर मीडिया के सामने आ रहे थे उनकी इस बेशर्मी को जब मीडिया ने दिखाया तब जाकर कुछ कार्रवाई हुई।
अन्नाहजारे का दिल्ली में आंदोलन हो, बाबा रामदेव का प्रदर्शन हो यह बताने के लिए काफी है कि उस समय देश की हालत क्या बना डाली थी यूपीए-2 सरकार ने। नौजवान, किसान, महिलाएं, व्यापारी सब सरकार से निराश हो गए थे। उसका परिणाम यह हुआ कि यूपीए का देश की राजनीति से लोकसभा के आम चुनाव में सूफड़ा साफ हो गया। देश की बागडोर नरेंद्र भाई मोदी को मिली। नरेंद्र भाई ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पड़ोसी मुल्कों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को आमंत्रित कर यह सिद्ध कर दिया कि वह सबसे दोस्ताना संबंध बनाकर चलेंगे। दुनिया के विकसित देशों की यात्राएं शुरू की प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र भाई ने। उसका परिणाम यह हुआ कि भारत के बारे में अन्य देशों का नजरिया बदलने लगा।
भारत दौरे पर आए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा हो, फ्रांस के राष्ट्रपति हो अथवा अन्य देशों के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति हो सब नरेंद्र भाई के कार्य देख कर कहने लगे कि 21वी सदी में भारत एक मजबूर ताकत बनकर विश्व का नेतृत्व करेगा। सभी ने देश हो अथवा विदेश हो एक स्वर में भारत की भारत के प्रधानमंत्री की खुलकर तारीफ की। चीन के साथ डोकलाम विवाद पर जिस तरह 73 दिन गतिरोध बना रहा और भारत ने चीन को पीछे हटने पर विवश कर दिया यह देख देशवासी ही नहीं पूरी दुनिया में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री की सराहना हुई। चीन ने 73 दिन में 1 दिन भी ऐसा नहीं छोड़ा जब युद्ध की गीदड़भभकी ना दी हो जापान ने सर्वप्रथम चीन को डोकलाम से हटने को कहा तथा भारत का साथ दिया, अमेरिका भी भारत के साथ खड़ा रहा, रूस का पक्ष में भारत विरोधी नहीं था कुल मिलाकर कहें तो यह नरेंद्र भाई के लंबे हाथों का ही कमाल था वरना 1962 में भी देश को एक प्रधानमंत्री मिला था जब भारत चीन से युद्ध में हार गया था।
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी का भारत आना और अहमदाबाद में 8 किलोमीटर रोड शो करना अपने देश की मित्रता प्रदर्शित करना, बुलेट ट्रेन चलाने की पहल पर करार करना ऐतिहासिक है। जय जवान जय किसान के साथ जय जापान जय हिंदुस्तान का नारा भी खूब चर्चा का विषय बना। नरेंद्र भाई के लंबे अजानबाहू हाथों का ही कमाल है कि भारत एक नया भारत बन रहा है। धीरज धरम मित्र अरु नारी आपद काल परखिए चारी प्रधानमंत्री जी ने दुनिया में भारत की साख को बढ़ाया और अच्छे बुरे की पहचान की। प्रधानमंत्री जी की लंबी आयु की ईश्वर से प्रार्थना के साथ उनको शत-शत नमन।
(नरेन्द्र सिंह राणा)
यूपी प्रदेश प्रवक्ता