नई दिल्ली– केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर घटाने के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था सुस्ती से सामर्थ्य की तरफ बढ़ेगी।
जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा, “अब जबकि ब्याज दर घट गई है और देश की अर्थव्यव्यवस्था इन दिनों जिस दिशा में बढ़ रही है, उसे देखते हुए ऐसी स्थिति नहीं बनेगी, जिसमें बैंकों की ऋण घटती जाएगी और जमा दर अधिक रहेगी।” उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को सक्षम बनाना है, सुस्त नहीं।
उन्होंने कहा “देश को दोनों ही क्षेत्रों में कम ब्याज दर की तरफ बढ़ना है। इसी तरह पिछले कुछ महीने में सरकारी प्रतिभूतियों की दर भी घटी है।”
मंत्री ने कहा कि पहले ब्याज दर में साल में एक बार बदलाव होता था। उन्होंने कहा कि अब ब्याज दर हर तिमाही घोषित होगी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन भी इस फार्मूले पर काम कर रही थी। उन्होंने कहा कि सरकारी प्रतिभूतियों की दर बाजार तय करती है।
ज्ञात हो कि पीपीएफ की दर 8.7 फीसदी से घटाकर 8.1 फीसदी कर दी गई, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेटट की दर 8.5 फीसदी से घटाकर 8.1 फीसदी कर दी गई, किसान विकास पत्र की दर 8.7 फीसदी से घटाकर 7.8 फीसदी कर दी गई, पांच साल की रिकरिंग जमा की दर 8.4 फीसदी से 7.4 फीसदी की गई। यहां तक कि बालिका योजना ‘सुकन्या समृद्धि खाता’ (एसएसए) की दर भी 9.2 फीसदी से घटाकर 8.2 फीसदी कर दी गई।
कई सावधि जमा योजनाओं की दर भी घटी। बैंकों का कहना था कि छोटी बचत योजना को कर लाभ मिलने के कारण वे अधिक दर देने के लिए बाध्य थे। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के महासचिव ए दीदार सिंह ने कहा कि छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर की समीक्षा के बाद उम्मीद है कि बैंक ऋण दर घटाने के लिए तुरंत समीक्षा करेंगे। बैंकों की अपनी समस्या के कारण हालांकि यह भी संभावना है कि बैंक अपनी ऋण दर नहीं घटाए।