अगले हफ्ते इस्लामाबाद में दक्षेस (राष्ट्रों) के वित्त मंत्रियों की बैठक होने वाली है। खबर है कि भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली उसमें भाग लेने नहीं जाएंगे। दक्षेस के गृहमंत्रियों की बैठक में हमारे गृहमंत्री राजनाथसिंह गए थे और उन्होंने आतंकवाद पर खरी-खरी सुनाई थी।
उन्हें न तो बोलने से रोका गया, न टोका गया और न ही उनकी आवभगत में कमी रखी गई। टीवी चैनलों पर उनका भाषण उसी तरह जीवंत प्रसारित नहीं किया गया, जैसे अन्य गैर-पाकिस्तानी गृहमंत्रियों का नहीं किया गया। राजनाथ गए और बोले तो अन्य देशों और भारत की जनता को भी पता चला कि पाकिस्तान की सरजमीन पर खड़े होकर एक भारतीय मंत्री ने सब कुछ कह दिया।
लेकिन अब जेटली को नहीं भेजने का फैसला किया जा रहा है, क्योंकि पिछले एक हफ्ते में मतभेद की दरारें जरा ज्यादा चौड़ी हो गई हैं। मियां नवाज शरीफ ने कश्मीर को लेकर फिर संयुक्तराष्ट्र से गुहार लगाई है।
कश्मीर पर हंगामा खड़ा करने वाले हाफिज सईद को दुबारा टीवी चैनलों पर आने की अनुमति मिल गई है। प्रतिबंध उठा लिया गया है। इधर लाल किले से पहली बार भारत के प्रधानमंत्री ने बलूचिस्तान, गिलगित और पाक-कब्जे के कश्मीर के मसलों को हवा दी है।
उन्होंने पाकिस्तान को परेशानी में डाल दिया है। पाकिस्तान अब चुप नहीं बैठेगा। वह भी हमले का कोई नया तेवर अपनाएगा। ऐसे में भारत सरकार जेटली को न भेजने का निर्णय कर रही है, जैसे कि बांग्लादेश ने अपने गृहमंत्री को नहीं भेजा था।
लेकिन मैं मानता हूं कि भारत, बांग्लादेश नहीं है। भारत दक्षेस का प्राण है। भारत के बिना दक्षेस क्या है? यदि आप चाहते हैं कि अगला दक्षेस सम्मेलन हो तो वित्तमंत्रियों की बैठक में जेटली को जरुर भेजा जाना चाहिए। वे जाएं और भारत का दृष्टिकोण जमकर पेश करें और पाक-नेताओं से खुलकर बात करें तो भारत की जनता उनके साथ होगी।
लेखक:- @वेदप्रताप वैदिक
हिंदी आर्टिकल की ताज़ा अपडेट पाने के लिए teznews के Facebook पेज को लाइक करें !