नई दिल्ली- उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के छठे चरण का मतदान आज आजमगढ़, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज और मऊ में जारी है। इस चरण में प्रदेश के सात जिलों की 49 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। तो मणिपुर में पहले चरण के लिए मतदान जारी है। मणिपुर विधानसभा के पहले चरण में 38 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। हालांकि सुबह-सुबह आए भूकंप के झटकों ने लोगों को सहमा दिया, लेकिन अधिकारियों के मुताबिक भूकंप की तीव्रता महज 3.5 थी, इसलिए मतदान पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
यूपी में पूर्वांचल के सात जिलों की 49 सीटों के लिए मतदान जारी है। मतदान शुरू होते ही मतदान केंद्रों पर लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है। सभी सीटों पर सुबह सात से शाम पांच बजे तक वोट डाले जाएंगे जिसमें 635 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा। गोरखपुर, महराजगंज, मऊ, कुशीनगर, देवरिया, आजमगढ़ व बलिया जिलों के मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
अखिलेश सरकार के मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव, राम गोविंद चौधरी, राधे श्याम सिंह व ब्रह्मााशंकर त्रिपाठी और विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पाण्डेय, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही, स्वामी प्रसाद मौर्य व मुख्तार अंसारी का सियासी भविष्य भी तय होगा।
आज हो रहे यूपी के छठे चरण के विधानसभा चुनाव में कुल 635 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा। खास बात यह है कि इस चरण में भी करोड़पतियों की संख्या कम नहीं है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार इस बार 160 करोड़पति उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि 126 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं।
वहीँ राज्य में दो चरणों में चुनाव में हो रहे हैं। मणिपुर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए 38 सीटों पर मतदान शुरू हो चुका है। इसके लिए इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, बिष्णुपुर और पहाड़ी जिलों चूड़ाचंदपुर एवं कांगपोकपी में फैले इन इलाकों में 1,643 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। शेष 22 सीटों पर मतदान 8 मार्च को होगा। मुख्य निर्वाचन अधिकारी वीके देवांगन ने बताया कि राज्य में 1,643 मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए सभी जरूरी तैयारियां कर ली गई हैं। पहले चरण में कुल 5,44,050 पुरुष और 5,75,220 महिला मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
कुल 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव की दौड़ में शामिल सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपना चुनाव प्रचार मुख्यत: यूनाइटेड नगा काउंसिल द्वारा लागू आर्थिक नाकेबंदी और इसे तोड़ने में राज्य सरकार की नाकामी पर फोकस किया है। कथित विकास की कमी, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, कोषों का दुरुपयोग और राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों को भी राजनीतिक पार्टियों ने उठाया है। [एजेंसी]