राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के मामले में गुरुवार को 36वें दिन की सुनवाई की गई।
रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अयोध्या में ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद के नीचे ‘विशाल संरचना’ की मौजूदगी के बारे में साक्ष्य संदेह से परे हैं।
उन्होंने कहा कि वहां खुदाई से निकले अवशेषों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां मंदिर था।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्षकारों की यह दलील सही नहीं है कि विवादित ढांचे के नीचे बना ढांचा ईदगाह की दीवार या इस्लामिक संरचना है।
उन्होंने मुस्लिम पक्षकारों की दलीलों के जवाब में कहा, ‘‘पहले उनका दावा था कि वहां कोई संरचना ही नहीं थी, बाद में उन्होंने कहा कि यह इस्लामिक ढांचा या ईदगाह की एक दीवार थी। हम कहते हैं कि वह मंदिर था जिसे ध्वस्त किया गया और खुदाई के दौरान मिले स्तंभों के आधार इसकी पुष्टि करते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘यह किसी भी संदेह से परे साक्ष्य है कि इसके नीचे एक संरचना थी।’ वैद्यनाथन ने कहा कि हिन्दू पक्षकारों का यही मामला है कि खुदाई में मिले अवशेषों, घेराकार मंदिर, स्तंभों के आधार, एक दूसरे से मिलती दीवारें और अन्य सामग्री, से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां एक मंदिर था।
वहीं, मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार मंदिर ध्वस्त किये जाने के बारे में कोई निश्चित साक्ष्य या तथ्य नहीं है।
संविधान पीठ अयोध्या में राज जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है।
संविधान पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।