नई दिल्ली: अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने आज सुनवाई की। इस दौरान मध्यस्थता पैनल के तीन सदस्यों ने मामले को दोस्ताना रवैये से सुलझाने के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा है। कोर्ट ने पैनल को 15 अगस्त का समय दे दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम आपको यह नहीं बताने जा रहे हैं कि इस मामले में अबतक क्या प्रगति हुई है क्योंकि यह गोपनीय है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की, जिसमे मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, एसए नजीर, अशोक भूषण और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे।
मामले की सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल की मांग को स्वीकार कर लिया और उसे 15 अगस्त तक का समय दे दिया। यह सुनवाई महज तीन मिनट तक चली। सुनवाई के दौरान मुख्य पक्षकारों का कहना था कि हम सभी मध्यस्थता के लिए सभी विकल्पों को खुला रखना चाहते हैं। वहीं निर्मोही अखाड़े का कहना है कि इस मामले में अभी तक किसी भी तरह की कोई आपसी चर्चा नहीं हुई है, लिहाजा वह मध्यस्थता प्रक्रिया से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं। बता दें कि इस पूरे विवाद को सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है जोकि बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट को सौंप चुकी है।
बता दें कि अयोध्या और बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मध्यस्थता से सुलझाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए कोर्ट ने तीन सदस्यों की एक समिति गठित की और इसे कैमरे की निगरानी में की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित इस कमेटी में अध्यक्ष के रूप में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला के अलावा आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं। जिसके बाद अब एक बार फिर इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होगी। बता दें कि अयोध्या और बाबरी मस्जिद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2010 में फैसला सुनाया था। जिसमें कोर्ट ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने का फैसला सुनाया था।