नई दिल्ली : अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मध्यस्थता पर सुनवाई हुई जिसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। इसके पहले, सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने कहा कि हम इस विवाद का हल चाहते हैं। आस्था और धर्म के नाम पर कोई समझौता नहीं होगा। जबकि सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबडे ने कहा कि हम मध्यस्थता के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता के लिए एक पैनल बनेगा, कोई एक मध्यस्थ नहीं रहेगा। जस्टिस बोबडे ने कहा, ‘हमनें इतिहास पढ़ा है, हमें मत बताइए, किसने पहले क्या किया ये इतिहास की बातें हैं।’
जस्टिस बोबडे ने कहा कि ये धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला है। ये 1500 स्क्वायर फीट का मामला नहीं है। हम मध्यस्थता के पक्ष में हैं। जस्टिस भूषण ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में अगर पब्लिक नोटिस दिया गया तो मामला सालों तक चलेगा। क्या सबकी सहमति के बिना भी मध्यस्थता की कोशिश की जा सकती है, इसपर दलीलें दी गईं। कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता के दौरान पूरी प्रक्रिया को रिपोर्ट नहीं किया जाएगा।
दरअसल, पिछली सुनवाई के दौरान मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने कहा था कि अगर एक फीसदी भी मध्यस्थता की उम्मीद है तो इसकी एक कोशिश होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई 26 फरवरी को हुई थी। पिछली सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के सवाल पर कई स्वर सुनाई दिए थे। इस मामले में हिंदू पक्षकारों के वकीलों ने ये कहते हुए आपत्ति जताई थी कि इस प्रकार की कोशिशें पहले भी हो चुकी हैं जो हर बार नाकाम रही है।
वहीं, मुस्लिम पक्ष ने भी मध्यस्थता पर चिंता जताई थी, लेकिन ये साथ ही ये भी कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट निगरानी करे है तो वह तैयार हैं। पिछली सुनवाई के दौरान ट्रांसलेशन की स्वीकार्यता पर बहस हुई जिसके दौरान पीठ ने कहा कि अगर सभी पक्षों को दस्तावेजों का अनुवाद मंजूर है तो वे सुनवाई शुरू होने के बाद उसपर सवाल नहीं उठा सकेंगे। अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक बेंच अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही है। मामले की सुनवाई कर रही संवैधानिक बेंच में सीजेआई रंजन गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। इसके पहले, अयोध्या मामले की सुनवाई के लिये 25 जनवरी को संविधान पीठ का गठन किया गया था लेकिन न्यायमूर्ति उदय यू ललित ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया था जिसके बाद नई पीठ का गठन किया गया।