रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद प्रॉपर्टी विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 18वें दिन भी जारी है।
मंगलवार को मुस्लिम पक्ष की तरफ से दलील पेश करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि देश के आजाद होने की तारीख और संविधान की स्थापना के बाद किसी धार्मिक स्थल का परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
राजीव धवन ने कहा कि बाबरी मस्जिद में भगवान की मूर्ति स्थापित करना ‘छल से किया हुआ एक खतरनाक हमला था’।
इसके बाद धवन ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष कुछ तस्वीरें पेश की। धवन ने कहा कि दो तस्वीरों में से एक में केके नायर, उपायुक्त मौजूद हैं। यह 1950 की तस्वीर हैं।
नायर ने कई बार हस्तक्षेप किया और उन्होंने उस समय मुख्य सचिव और पीएम को पत्र भी भेजा था। सिटी मजिस्ट्रेट के यथास्थिति के बाद इस तस्वीर में साफ होता है कि आदेश का उल्लंघन हुआ था। यथास्थिति के बाद इस स्थान में मंदिर जैसी परंपराओं को निभाया जा रहा था।
राजीव धवन ने अपनी बहस को बढ़ाते हुए कहा कि अयोध्या विवाद पर विराम लगना चाहिए। अब राम के नाम पर फिर कोई रथयात्रा नहीं निकलनी चाहिए। उनका इशारा बीजेपी द्वारा 1990 में निकाली गई रथयात्रा की ओर था, जिसके बाद बाबरी विध्वंस हुआ था।
राजीव धवन ने कहा मस्जिद में मूर्ति का होना कोई चमत्कार नहीं बल्कि सोचा समझा ‘हमला था’।
राजीव धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष की दलील है कि मुस्लिम पक्ष के पास विवादित जमीन के कब्ज़े के अधिकार नहीं है। मुस्लिम पक्ष वहां नमाज अदा नहीं करते हैं। उसके पीछे वजह ये है कि 1934 में निर्मोही अखाड़ा ने गलत तरीके से अवैध कब्जा किया। हमें नमाज पढ़ने नहीं दिया गया।
इससे पहले अयोध्या के रामजन्मभूमि केस को लेकर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को कथित तौर पर धमकी देने के मामले में सुप्रीम प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की संविधान पीठ ने सेवानिवृत्त शिक्षा अधिकारी 88 साल के एन. षणमुगम को नोटिस जारी किया।
बता दें कि इस मामले में राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है। आज सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर दो हफ़्ते में जवाब मांगा है। अवमानना याचिका में राजीव धवन ने कहा है कि सेवानिवृत्त शिक्षा अधिकारी एन. षणमुगम की तरफ से 14 अगस्त 2019 को उन्हें एक पत्र मिला, जिसमें उन्हें मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश होने की वजह से धमकी दी गई थी।
17वें दिन की सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कहा कि वो चार अलग-अलग पहलुओं पर बात करेंगे। उसके बाद मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से जफरयाब जिलानी और मीनाक्षी अरोड़ा बहस करेंगे।
जिलानी हाईकोर्ट के फैसले पर बात करेंगे जबकि मीनाक्षी एएसआई की रिपोर्ट पर बात करेंगे। बहस में धवन ने हिन्दू पक्षकारों की तरफ से पेश की गई दलील का जवाब देने की भी कोशिश की।
हिन्दू पक्षकारों कि तरफ से कहा गया कि मस्जिद का जो ढांचा था, वहां मोर और कमल के फूल के निशान बने थे और ऐसा किसी मस्जिद में नहीं होता।
इस पर धवन ने कहा कि इससे ये साबित नहीं होता कि वहां मंदिर था। कई ऐसे आर्किटेक्चर है जहां इस तरह की कलाकारी मुगल काल में की गई है।
हिन्दू पक्षकारों का कहना था कि बाबर आक्रमणकारी था और बाहर से आया था। इस पर धवन ने कहा कि अगर बाबर बाहरी था तो फिर ये भी बात उठेगी कि आर्य भी बाहर से भारत आए थे।
@एजेंसी