देहरादून [ TNN ] कांग्रेस के धुर विरोधी रहे योगगुरु बाबा रामदेव बुधवार को कांग्रेस की उत्तराखंड सरकार के मेहमान बनकर बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम गए. रामदेव की इस यात्रा पर राजनीतिक पंडितों ने कयास लगा रखे हैं कि कांग्रेस योगगुरू से अच्छे संबंध बनाना चाहती है. केदारनाथ धाम पहुंच कर बाबा ने यात्रा की व्यवस्थाओं और यहां पिछले वक्त की तबाही के बाद चलाए जा रहे विकास कार्यों का जायजा लिया | उनके साथ उनके सहयोगी बालकृष्ण, कुछ समर्थक और कुछ मीडियाकर्मी भी थे |
बाबा रामदेव की केदारनाथ यात्रा पर सफाई देते हुए सूबे की सरकार ने इस यात्रा को यह कहकर एक जरूरी कदम बताया है कि चारधाम यात्रा को पटरी पर लाने और इस क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी को ढर्रे पर लाने के लिए वह सभी का सहयोग चाहती है. सरकारी प्रवक्ता सुरेंद्र अग्रवाल के मुताबिक चाहे रामदेव हों या कोई और नामी संत, सरकार उनका सहयोग और समर्थन चारधाम यात्रा के लिए चाहती है |
इस यात्रा पर राज्य की 30 प्रतिशत लोगों की आजीविका चलती है इसलिए ऐसा करना राज्यहित में है. आपको बता दें कि योगगुरू रामदेव के खिलाफ कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ने दर्जनों मामले दर्ज कराए थे जो राज्य के विभिन्न न्यायालयों में आज भी चल रहे हैं. बाबा के सहयोगी बालकृष्ण पर तो फर्जी पासपोर्ट बनाने एवं फर्जी डिग्रियों से उद्योग चलाने के मुकदमे भी विचाराधीन हैं मगर राज्य में सत्ता के नेतृत्व में हुए परिवर्तन के बाद रामदेव के साथ राज्य सरकार के रिश्तों में नया मोड़ आया है. अब आलम यह हो गए हैं कि सरकार ने बाकायदा हेलिकॉप्टर में बाबा को चारधाम की व्यवस्थाओं का जायजा लेने भेजा और उनसे अपेक्षा की कि वह यात्रा में सुधार के लिए सुझाव दें और निर्माण कार्यों के बारे में अपनी राय दें | यहां तक कि सरकार बाबा के दुनिया भर में फैले संपर्कों का भी इस्तेमाल करना चाहती है.
खुद योगगुरू रामदेव ने भी अपनी फेसबुक वॉल पर मुख्यमंत्री की इस पहल को रचनात्मक करार दिया और दलीय हितों से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत बताई. यात्रा के बाद योगगुरू ने कहा कि सीएम ने उनकी तरफ हाथ बढ़ाया और मैंने उसे थाम लिया. उन्होंने दिवाली पर अच्छा कदम उठाया है और देशहित में मैंने भी उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया. ‘श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण वरिष्ठ मीडिया बंधुओं के साथ मैं केदारनाथ एवं बदरीनाथ की यात्रा पर जा रहा हूं. दीपावली के शुभअवसर पर यशस्वी मुख्यमंत्री की ओर से यह रचनात्मक पहल की गई है. सत्ता में आने से पहले पक्ष और विपक्ष व दलीय राजनीति से बचना मुश्किल है मगर सत्ता में आने के बाद तो निष्पक्ष, निर्दलीय राजनीति एवं सोच के साथ राष्ट्रहित को सोचकर चलना ही राष्ट्र के लिए मंगलकारी है |